पिछले कुछ दिनों से सूबे में सुर्खियां बने सिरमौर पुलिस के हेड कांस्टेबल जसवीर के मिल जाने के बाद अब कई खुलासे हुए हैं। शनिवार को बुलाई पत्रकारवार्ता में सीआईडी क्राइम के डीआईजी डॉ. डीके चौधरी ने बताया कि हेड कांस्टेबल जसवीर लापता नहीं हुआ था बल्कि वह जानबूझकर छुपा हुआ था। जिसे पुलिस की टीमों ने कड़ी मेहनत के बाद हरियाणा के नारायणगढ़ के समीप एक ट्यूबवेल पर लेटे हुए तलाश कर लिया। उन्होंने बताया कि आज के समय में कोई भी व्यक्ति मोबाइल फोन से ज्यादा देर तक दूर नहीं रह सकता और यही उसे तालाश करने का आधार बना। उनके परिजनों व जानकारों पर प्रेशर डाला कि ऐसा नहीं हो सकता कि जसवीर किसी से संपर्क नहीं कर रहा है।

हेड कांस्टेबल अपने परिजनों के संपर्क में था। शुक्रवार शाम को एसडीपीओ पांवटा साहिब आदिति सिंह कालाअंब में मौजूद थी और जानकारी मिलने के बाद वह टीम लेकर मौके पर पहुंची और हेड कांस्टेबल को नाहन लेकर आई। जसवीर की तबियत ठीक नहीं थी जिसके बाद मेडिकल कालेज नाहन में भर्ती करवाया गया है। इस दौरान उन्होंने जिला पुलिस की पीठ थपथपाई और कहा कि उनकी मेहनत से हेड कांस्टेबल मिल गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक जसवीर के बयान कलमबद्ध नहीं हो पाए हैं। जल्द ही उनके बयान लिए जाएंगे। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक योगेश रोल्टा, डीएसपी हैडक्वार्टर रमाकांत ठाकुर, डीएसपी पांवटा साहिब आदिति सिंह मौजूद रहे। 

‘अब आगे होगी विभागीय कार्रवाई’ 
सीआईडी क्राइम के डीआईजी डॉ. डीके चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सही है कि इस प्रकरण से पुलिस विभाग की किरकिरी हुई है और छवि पर विपरित असर पड़ा है। इस मामले में अब विभागीय कार्रवाई होगी।  

‘मारमीट के मामले में अब सीआईडी करेगी जांच’ 
पुलिस अधीक्षक सिरमौर रमन कुमार मीणा ने बताया कि कालाअंब के देवनी में हुई पंजाब के लोगों द्वारा स्थानीय लोगों के साथ की गई मारपीट के जिस मामले के बाद हेड कांस्टेबल का यह पूरा प्रकरण हुआ उस मारपीट के मामले की जांच का जिम्मा भी अब सीआईडी को सौंप दिया गया है। इस मामले में आदेश आईजी हिमाचल पुलिस की तरफ से सिरमौर पुलिस को मिल चुके हैं। 

‘हेड कांस्टेबल जसवीर पर मई माह में 45 हजार की रिश्वत के आरोप’ 
एसपी सिरमौर रमन कुमार मीणा ने एक सवाल के जवाब में बताया कि इस पूरे मामले से पहले ही कालाअंब में तैनात हेड कांस्टेबल जसवीर के खिलाफ एक व्यक्ति ने 17 मई को उन्हें शिकायत सौंपी थी। शिकायत में जसवीर पर 45 हजार रुपए की रिश्वत के आरोप लगाए गए थे। इस दौरान शिकायतकर्ता द्वारा एक ऑडियो रिकार्डिंग भी पुलिस को उपलब्ध करवाई गई थी। इस मामले में जांच का जिम्मा डीएसपी हैडक्वार्टर रमाकांत ठाकुर को सौंपा गया था और मामले में जांच की गई। शुरुआती जांच में आरोपों की पुष्टि पाई गई थी। मामले में आगामी जांच व कार्रवाई की जानी थी, लेकिन इस बीच जसवीर द्वारा वीडियो वायरल करने व छुप जाने का नया प्रकरण सामने आया। 

‘जिले के अधिकारियों का दबाव था तो हिमाचल पुलिस के उच्चाधिकारियों से क्यों नहीं की शिकायत’ 
एसपी सिरमौर रमन कुमार मीणा ने कहा कि मारपीट का जो मामला देवनी में सामने आया उसके वीडियो में पता चल रहा है कि पंजाब के लोग किस तरह से यहां सरेआम दिन दहाड़े युवक पर डंडे बरसा रहे हैं। ऐसे में जब पीड़ित पक्ष हेड कांस्टेबल की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुआ तो उन्होंने उन्हें शिकायत की। इस शिकायत पर हेड कांस्टेबल को सही जांच करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कार्रवाई करने की बजाय वीडियो वायरल कर दिया। उन्होंने बताया कि यदि सभी जवान इस प्रकार काम करेंगे तो कैसे काम चलेगा। उन्होंने कहा कि यदि हेड कांस्टेबल को अपने जिला पुलिस के अधिकारियों के निर्देश सही नहीं लग रहे थे और वह किसी प्रकार का दबाव महसूस कर रहे थे तो उन्होंने जिले से ऊपर डीआईजी, आईजी या डीजीपी स्तर के उच्चाधिकारियों के समक्ष आवाज क्यों नहीं उठाई। यदि यहां भी उनकी सुनवाई नहीं होती तो वह सरकार के समक्ष या फिर अदालत के समक्ष अपनी बात रख सकते थे। 

‘धारा 307 लगाने को लेकर किसी ने नहीं कहा’
एसपी ने बताया कि हेड कांस्टेबल वीडियो में जो मारपीट के मामले में धारा 307 दर्ज करने को लेकर पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं वह बिल्कुल बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि मामले में हेड कांस्टेबल को सही जांच करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि हेड कांस्टेबल ने ऐसा क्यों कहा यह जांच का विषय है।

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