यह शिष्टमंडल बारह सदस्यीय था जिसमे प्रो चन्द्रमोहन परशीरा , प्रो खेमचन्द , प्रो संजय सिंधु, प्रो सुरेंद्र , डॉ जोगिंदर सकलानी, डॉ बीआर ठाकुर , डॉ रीतिका , डॉ अंजलि शर्मा , डॉ नीलम ठाकुर , डॉ महेश , डॉ संजय उपस्थित थे । डॉ नितिन व्यास ने बताया कि माननीय राज्यपाल जी के समक्ष शिक्षकों से सम्बन्धित चार सूत्रीय माँगपत्र सौंपा इस माँगपत्र के माध्यम से शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार की अनुबंध सेवाओं को लेकर विधानसभा में लाए जाने वाले विधेयक का विरोध किया उन्होंने कहा की इस विधेयक का आना मतलब अनुबंध सेवा में लगे कर्मचारियों के साथ धोखा है उन्होंने बताया कि सरकार के मापदंड दोहरे हैं पहले अनुबंध में नौकरी दो बाद में उसके अनुबंध काल को निरस्त कर दो और इस काल को भविष्य में अनुभव के रूप में प्रमोशन हेतु कहीं जोड़ा नहीं जा सकता । उन्होंने बताया कि कॉलेज में शिक्षक HPSC का टेस्ट पास करके नौकरी पर लगता है कहाँ उसे पहले दो वर्ष अनुबंध पर नौकरी करनी होती है पर मौजूदा विधेयक के पास होने से शिक्षक का अनुबंध काल को भविष्य की प्रमोशन इत्यादि के लिए नहीं जोड़ा जाएगा जो की अन्याय है । इस विधेयक को तुरंत वापिस लिया जाना चाहिए ।
शिष्टमंडल ने माँग की हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए अधिसूचना जारी की है जिसके अनुसार 2018 UGC अधिनियम के अनुसार CAS को रोका गया है पर महाविद्यालयों में CAS को अपनाया जा रहा है , प्रदेश विश्विद्यालय ने सरकार के दोहरे मापदंड का विरोध किया है अतः माननीय राज्यपाल जी से इस विषय पर हस्तक्षेप करने की माँग की है । इसके साथ साथ प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का DA लम्बित है ।जिससे कर्मचारी वर्ग में भारी रोष है । प्रतिनिधिमंडल ने माँग की कि 2014 के बाद नियुक्त विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षकों की PhD इंक्रीमेंट को रोक दिया गया है जिसे प्रदेश सरकार द्वारा बहाल किया जाना चाहिए । नितिन व्यास ने राज्यपाल जी से विश्वविद्यालय के प्रदेश सरकार द्वारा दिये जाने वाले वार्षिक बजट में बढ़ोतरी करने की भी माँग रखी । माननीय राज्यपाल जी ने सकारात्मक रूप में सभी माँगों को सुना एवं शिक्षकों की माँगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी ।