प्रदेश में आई आपदा से गत्ता उद्योग भी प्रभावित हुआ है। इस बार बीबीएन के गत्ता उद्योगों से 20 फीसदी कार्टन ही बिका है। प्रदेशभर में 300 से अधिक गत्ता उद्योग हैं। इनमें से 200 के करीब बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र में ही स्थापित हैं, अधिकतर उद्योग सेब सीजन के मौके पर कार्टन बनाते हैं। इन्हीं से इन उद्योगों का कारोबार चलता है।
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मगर इस बार पहले सूखा पड़ने से सेब कम लगा और बाद में भारी बारिश होने के चलते प्रदेश के कई मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। उद्योगपतियों के अनुसार सेब सीजन के चलते पूरे प्रदेश में लगभग 4 करोड़ से भी ज्यादा कार्टन सेब पैकिंग के लिए जाते हैं।
इससे बीबीएन में हर साल 175 करोड़ रुपये के करीब कारोबार होता है। मगर इस बार सीजन में पूरे बीबीएन क्षेत्र से 50 लाख के करीब ही कार्टन बन पाए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में 20 फीसदी ही रहा। कारोबारियों के अनुसार इस बार कच्चे माल का खर्चा भी नहीं निकल पाया।
इस बार कार्टन बनाने वाले उद्योगों को बहुत नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई करना मुश्किल है। समय से पहले आई बरसात के कारण बहुत से उद्योगपतियों को नुकसान उठाना पड़ा है। कार्टन बनाने के लिए कच्चा माल एडवांस में खरीदा जाता है। इस बार सब घाटे का सौदा है। – हेमराज चौधरी, उद्योगपति
सरकार को अकेला गत्ता उद्योग ही करोड़ों का टैक्स देता है। बीबीएन हर दिन 92 करोड़ रुपये का टैक्स अदा करता है अगर एक महीने के टैक्स के पैसे को भी सरकार यहां पर खर्च कर दे तो यहां की सड़कों की और पुलों की जो हालात है वह बेहतर हो सकती है। – अशोक राणा, महासचिव उद्योग संघ
आपदा के चलते गत्ता उद्योग की कमर टूट चुकी है। कार्टन की सप्लाई न होने से उद्योगों में ही माल पड़ा है। अब सीजन भी आधा से ज्यादा हो गया है। समय रहते बीबीएन की सड़कों और पुलों को ठीक किया जाए ताकि उद्योग जगत की परेशानियां कम हो सके। – विकास सिंगला, कोषाध्यक्ष उद्योग संघ