हिमाचल के फल उत्पादकों के लिए सरकार नई बागवान नीति लाएगी। मंडियों में आढ़तियों के हाथों बागवानों को शोषण से बचाने के लिए यह पहल की जाएगी। वहीं, प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए हिम गंगा योजना शुरू की जाएगी। यह योजना 500 करोड़ रुपये की होगी। हिम गंगा योजना से नए दुग्ध प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित और स्तरोन्नत किए जाएंगे। पहले चरण में यह योजना कुछ जिलों में चलाई जाएगी। पशु अस्पतालों में बेहतर सेवाओं के लिए 44 मोबाइल वैन सेवा शुरू होगी। स्टार्ट अप के लिए किसानों के हितों की रक्षा के लिए समूह बनाए जाएंगे।
प्रदेश सरकार किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए 50 फीसदी उपदान देगी। हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना के लिए 1292 करोड़ रुपये की लागत से पांच साल में 7 जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, सोलन और ऊना के 28 विकास खंडों में 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में दो चरणों में बागवानी का विकास होगा। इसके तहत 15 हजार से अधिक बागवान परिवारों को लाभ होगा। एक फसल में संतरा, अमरूद, अनार, लीची, प्लम, परसीमन और आम आदि फलों को बढ़ावा दिया जाएगा। योजना के तहत एक करोड़ पौधे रोपे जाएंगे। फसल तैयार बाद के नुकसान को कम करने को कोल्ड चेन बनेगी।
प्रदेश में मत्स्य पालन के लिए तालाब बनाने को 80 फीसदी उपदान दिया जाएगा। मत्स्य पालकों को तालाब बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। निजी क्षेत्र में 20 हेक्टेयर नए मत्स्य पालन तालाबों का निर्माण किया जाएगा। किसानों के समूहों को बैंकों से 2 फीसदी की दर से त्रण उपलब्ध करवाया जाएगा।
प्रदेश में 120 नई ट्राउट इकाइयों का होगा निर्माण
प्रदेश में 120 नई ट्राउट इकाइयों का निर्माण किया जाएगा। 5 लघु बायोप्लाक मत्स्य पालन इकाइयां, 2 ट्राउट हैचरी, 3 मछली फीड मिलें और एक बर्फ संयंत्र बनेगा। पांच करोड़ रुपये की लागत से एक प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा। इसमें 600 मछुआरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। मछुआरों को 1000 जाल दिए जाएंगे। प्रदेश के 12 हजार परिवार मछली उत्पादन से जुड़े हैं। इस क्षेत्र में 500 युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। किसानों के समूहों को बैंकों से 2 फीसदी की दर से ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा।