न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी ने साक्षात्कार के प्रावधान को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किए बगैर इन भर्तियों के लिए 10 अंकों का साक्षात्कार लेने का निर्णय लिया।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन मित्रों की भर्ती के लिए रखे 10 अंकों के साक्षात्कार को अवैध ठहराते हुए इसे खारिज कर दिया है। न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी ने साक्षात्कार के प्रावधान को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किए बगैर इन भर्तियों के लिए 10 अंकों का साक्षात्कार लेने का निर्णय लिया। कोर्ट ने पाया कि सरकार ने इन भर्तियों के लिए साक्षात्कार लेने का निर्णय बिना विशेषज्ञों की रिपोर्ट के ले लिया।
सरकार ने ही वर्ष 2017 में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती के लिए साक्षात्कार न लेने का नीतिगत फैसला लिया था। इसलिए सरकार का केवल इन भर्तियों के लिए साक्षात्कार लेने का निर्णय भेदभावपूर्ण है। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि यह भर्तियां बिना साक्षात्कार के तय प्रक्रिया के अनुसार की जाए। अंक देने पर वन विभाग का कहना था कि वन मित्र नियमित पद नहीं हैं और न ही इनकी सेवा शर्तें नियमित कर्मचारियों की तरह है, इसलिए इन पदों के लिए साक्षात्कार रखे गए थे।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद वन विभाग के तहत होने जा रही 2061 वन मित्रों की भर्तियों का रास्ता साफ हो गया है। मामले के अनुसार प्रार्थी दीक्षा पंवर ने आरोप लगाया था कि वन विभाग वन मित्रों की भर्ती के लिए साक्षात्कार करवाने जा रही है जबकि 17 अप्रैल 2017 को प्रदेश सरकार ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए साक्षात्कार न लेने की अधिसूचना जारी की थी। आरोप था कि सरकार द्वारा जारी उक्त अधिसूचना के विपरीत वन विभाग 10 अंकों का साक्षात्कार करवा कर अपने चहेतों हो लाभ पहुंचाना चाहता है।