डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक डॉ. अनिल ने बताया कि यह मशरूम उत्तरी पूर्व के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। यहां के स्थानीय लोग इसे पारंपरिक भोजन के रूप में भी प्रयोग करते है।
खुंब अनुसंधान एवं निदेशालय के वैज्ञानिकों ने एक नई औषधीय स्प्लिट गिल (साइजो फिलियम) मशरूम पर सफल शोध किया है। यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है। यह सिर, गर्दन और गैस्ट्रिक कैंसर से लड़ने में सहायक होगी। इस मशरूम को राष्ट्रीय खुंब मेले के दौरान प्रदर्शनी में भी रखा गया है। इस मशरूम को लकड़ी के बुरादे और धान पराली पर तैयार किया जा सकेगा। डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक डॉ. अनिल ने बताया कि यह मशरूम उत्तरी पूर्व के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। यहां के स्थानीय लोग इसे पारंपरिक भोजन के रूप में भी प्रयोग करते है।
डीएमआर की ओर से इस पर काफी समय से कार्य किया जा रहा था। जिसके बाद अब इसमें सफलता हासिल की है। यह मशरूम लकड़ी के बुरादे और धान पराली पर तैयार की गई है। आमतौर पर यह मशरूम प्राकृतिक रूप से सड़ी हुई लकड़ी के ऊपर तैयार होती है। निदेशालय में पराली और लकड़ी के बुरादे पर इसका शोध किया है। यह 18 से 22 दिन में तैयार होगी। इसके अलावा यह मशरूम मुख्य रूप से म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, नाइजीरिया और पूर्वोत्तर भारत में पाया जाता है।
यह जंगली पेड़ों में सड़ने वाले पेड़ों पर बरसात के मौसम के बाद पाया जाता है। मशरूम निदेशालय निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिकों ने इस मशरूम पर सफल शोध किया है। इस पर पिछले दो वर्षो से कार्य किया जा रहा था। इस वर्ष इस मशरूम की अच्छी फसल आई है। यह मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है। जल्द ही इस मशरूम का प्रशिक्षण किसानों को भी दिया जाएगा।