प्रदेश सरकार ने 1,844 कोरोना आउटसोर्स कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन कर्मचारियों को ईमेल के अलावा बर्खास्तगी के ऑर्डर घर भेजे गए हैं। पत्र में इन कर्मचारियों को अस्पताल में नहीं आने के लिए कहा गया है। कोरोना काल के दौरान इन कर्मचारियों की तैनाती की गई थी।
कोरोना वार्ड के अलावा अस्पतालों की ओपीडी में इनकी नियुक्ति की गई थी। इसके अलावा लैब में मरीजों के टेस्ट करने का जिम्मा भी इन कर्मचारियों पर था। नौकरी से निकालने पर इन कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। मंगलवार को यह कर्मचारी सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मिलेंगे।
विधानसभा के भीतर विपक्ष के नेता और भाजपा विधायकों ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। सरकार से इन कर्मचारियों की नौकरी बहाल करने की मांग की गई। भाजपा ने भी विधानसभा के बाहर प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों की सेवाएं बहाल करने की मांग की। अब इन कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
हिमाचल कोरोना आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन अध्यक्ष अंजली भारद्वाज ने कहा कि कोरोना के समय में सरकार ने स्टाफ नर्सें, लैब टैक्निशियन, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट, कुक, और चालकों की नियुक्ति की थी। बिना अवकाश के कर्मचारियों ने अस्पतालों में सेवाएं दी हैं। कोरोना काल में गांव-गांव जाकर लोगों को जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूक किया है। जहां सरकारी कर्मचारी नहीं गए, वहां आउटसोर्स कर्मचारी लोगों को सेवाएं देने के लिए पहुंचा।
हिमाचल के अस्पतालों में सेवाएं देने के बावजूद कोरोना आउटसोर्स कर्मचारियों को छह महीने से वेतन तक नहीं मिला है। यह मामला भी सरकार के ध्यान में लाया गया है, लेकिन आश्वासन ही मिला है।