हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले भागों में बारिश से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। बर्फबारी से कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। वहीं कई सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप है।]

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग, जलोड़ी दर्रा, शिकारी देवी में मंगलवार को फिर बर्फबारी हुई। राजधानी शिमला सहित पूरे प्रदेश में बादल झमाझम बरसे। जलोड़ी दर्रा बंद होने से निगम की दो और एक निजी बस आनी व रामपुर में फंस गई है। मंगलवार शाम तक प्रदेश की 24 सड़कों पर आवाजाही ठप रही। सिरमौर में 37 बिजली ट्रांसफार्मर ठप होने से दर्जनों पंचायतों में बत्ती गुल हो गई है। प्रदेश में पांच पेयजल योजनाएं भी बंद हैं।

शिकारी देवी जाने पर रोक लगा दी गई है। मनाली-लेह मार्ग और शिंकुला से होकर कारगिल मार्ग खोलने में बीआरओ को परेशानियां आ रही हैं। बुधवार को किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में बर्फबारी और शिमला समेत अन्य जिलों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 23 मार्च से फिर प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। 23 से 25 मार्च तक मौसम खराब बना रहने के आसार हैं।

इन जिलों में बंद रहीं सड़कें
 मंगलवार शाम तक लाहौल-स्पीति में 15, कुल्लू-चंबा में तीन-तीन, कांगड़ा में दो और शिमला में एक सड़क बंद रही। लाहौल-स्पीति में चार और चंबा में एक पेयजल योजना बंद रही। जिला मंडी की सराज घाटी में मंगलवार को ताजा बर्फबारी हुई। शिकारी देवी समेत आसपास की ऊंची चोटियों पर दो से छह इंच तक बर्फबारी हुई है। थुनाग प्रशासन ने शिकारी देवी की ओर आने वाले पर्यटकों को आगामी आदेशों तक नहीं आने के आदेश जारी किए हैं। 

सिरमौर की 14 पंचायतों के सैकड़ों गांव में बिजली आपूर्ति ठप
सिरमौर जिले में बारिश-बर्फबारी से हरिपुरधार क्षेत्र की 14 पंचायतों के सैकड़ों गांव में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। जिले में बारिश से कहीं फसलों को संजीवनी मिली तो कहीं ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है।

जलोड़ी जोत 305 एनएच बंद
किन्नौर जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी मंगलवार को बर्फबारी हुई है। जलोड़ी जोत 305 एनएच बंद हो गया है। जिला चंबा में हरदासपुरा-साहो मार्ग पर सरोथा नाले के पास पहाड़ी दरकने से 16 घंटे तक यातायात बाधित रहा। सिरमौर के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी और निचले हिस्सों में बारिश से मौसम में ठंडक बढ़ गई है। बारिश गेहूं, अदरक, मटर, टमाटर, प्याज व लहसुन के लिए फायदेमंद मानी जा रही है।

तापमान में गिरावट से बागवानों की बढ़ी चिंता
वहीं, मार्च महीने के तीसरे सप्ताह में बारिश-बर्फबारी से तापमान में आई गिरावट से बागवानों की चिंता बढ़ गई है। तापमान लुढ़कने से सेब की फ्लावरिंग प्रक्रिया धीमी हो गई है तो वहीं अगर आने वाले दिनों में भी ऐसा ही मौसम बना रहा तो फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस समय कम ऊंचाई वाले सेब के बगीचों में पिंक बड निकलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अचानक तापमान में गिरावट आने से पिंक बड आने की प्रक्रिया धीमी चल रही है। हालांकि अभी फ्लावरिंग के लिए समय है लेकिन मौसम ऐसा ही बना रहता तो इससे सेब की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

अच्छी फ्लावरिंग के लिए 16 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान जरूरी
विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छी फ्लावरिंग के लिए 16 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना आवश्यक है लेकिन बीते तीन दिनों से हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण तापमान लुढ़क गया है। इसका सीधा असर सेब के बगीचों में देखने को मिल रहा है। बागवानी विशेषज्ञ डॉ, नरेंद्र कायथ ने बताया कि तापमान में भारी गिरावट आई है। इस कारण फ्लावरिंग की प्रक्रिया में देरी हो गई है। अभी सेब की फ्लाविंरग में समय है लेकिन फ्लावरिंग के समय में तापमान कम रहता है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव असर फसल पर पड़ सकता है।

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