हिमाचल ने अगर सतर्कता नहीं बरती और उचित कदम नहीं उठाए तो यहां भी डेंगू का प्रकोप हो सकता है। यह खुलासा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से डॉक्टरों की टीम के अध्ययन से हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डेंगू को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया है। विभाग की डॉ. एकता शर्मा के नेतृत्व में किए यह अध्ययन कांगड़ा जिले में किया गया। इसको लेकर डॉ. शर्मा, डॉ. तरुण सूद, डॉ. गुरमीत कटोच और डॉ. राजेश गुलेरी की शोध टीम ने जिले के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम सेल के डाटा का विश्लेषण किया। 2017 से 2022 तक छह साल की अवधि को कवर करते हुए इस अध्ययन के अनुसार कांगड़ा में 6008 संदिग्ध डेंगू के मामले सामने आए।

अध्ययन वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के बारे में बेहतर तैयारी और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। मानसून के बाद की अवधि में इन प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने से भविष्य में होने वाले प्रकोपों को काफी हद तक रोका जा सकता है। शोध दल ने निगरानी तंत्र को मजबूत करने और डेंगू संक्रमण के प्राथमिक वेक्टर एडीज मच्छर की आबादी को नियंत्रित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने की सिफारिश की है। मच्छरदानी और विकर्षक का उपयोग करने जैसे निवारक उपायों को बढ़ावा देने वाले सामुदायिक शिक्षा अभियान रोग के प्रसार को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। डेंगू के मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति को स्वीकार करके और सक्रिय कदम उठाकर हिमाचल प्रदेश इस सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है और अपने नागरिकों की भलाई की रक्षा कर सकता है।

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