भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया है कि वर्तमान सरकार में अफसर शाही सरकार पर इस कदर भारी है कि प्रदेश के कृषि मंत्री द्वारा अधिकारियों को फिजूल खर्ची कर विदेश घूमने का एक कार्यक्रम गत दिनों कुछ आपत्तियां के साथ रद्द कर दिया था परंतु ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने मंत्री की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए उससे भी ऊपर के स्तर से अपने विदेश के कार्यक्रम को अंजाम देने का बंदोबस्त कर लिया है इसी से यह लगता है की सरकार का अफसर शाही के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है न ही सरकार के अधिकारियों को प्रदेश की वित्तीय स्थिति से कुछ लेना देना है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने जायका ( जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी ) के अंतर्गत 11 अधिकारियों का एक दल परियोजना के अध्ययन के लिए वह कृषि के गुर सीखने के लिए अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में स्पेन जाने का एक कार्यक्रम बनाया है परंतु जब फाइल कृषि मंत्री के पास पहुंचती है तो उन्होंने आपत्ति उठाई कि इससे पहले जो अधिकारी नीदरलैंड जाकर के आए हैं उन्होंने इस परियोजना में आकर क्या योगदान दिया है और इसका जवाब अधिकारी नहीं दे पाए और मंत्री ने उसे फाइल को रोक दिया लेकिन अधिकारियों ने जुगाड़ भिड़ा कर मंत्री को ही ठेंगा दिखा दिया। ऐसा दल जिसमें एक भी किसान या स्वयंसेवी संस्था जो इस क्षेत्र में इस परियोजना में काम कर रही हो उसका कोई भी प्रतिनिधि न तो पहले किसी दल में शामिल किया गया और न ही इस दौरे के लिए किसी को शामिल किया गया यह दौरे महज अधिकारी लोग अपनी ऐशपरस्ती के लिए सरकारी खजाने पर डाका डालते हैं। जबकि जमीनी स्तर पर ऐसे दौरों का कोई लाभ किसानों को नहीं मिलता है ।
हैरानी की बात यह है कि इन्हीं दिनों जायका का एक प्रतिनिधिमंडल जापान से परियोजना की जानकारी व उपलब्धि की समीक्षा के लिए हिमाचल प्रदेश आया हुआ है और जहां-जहां भी इस परियोजना के अंतर्गत कार्य किया गया है उसको वह देख रहे हैं । बेहतर होता कि अधिकारी उस प्रतिनिधिमंडल से मिलकर प्रदेश के भले के लिए काम करते हैं जिसका लाभ आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में किसानों को मिल पाता ।
इस परियोजना को जायका की सहायता से 2021 में भारतीय जनता पार्टी की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार में शुरू किया गया था और यह परियोजना 2019 तक प्रदेश में चलेगी। जिसका संचालन हिमाचल प्रदेश कृषि विकास समिति के गर्वनिंग बोर्ड द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना में कुल 1010.30 करोड रुपए खर्च किए जाने हैं वर्ष 2023 =24 के लिए 30 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं और अधिकारियों की नजर इसी पैसे पर है इसी के अंतर्गत वह अपना विदेश घूमने का सपना पूरा करना चाहते हैं।
जो विदेश जाना चाहते हैं उनमें प्रदेश के कृषि सचिव, निदेशक कृषि व परियोजना अधिकारी एवं एक सीनियर कंसलटेंट व अन्य शामिल है । सीनियर कंसलटेंट क्योंकि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से हैं इसलिए इस दौरे के लिए कृपा कहां से बरस रही है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
कृषि मंत्री द्वारा अधिकारियों के पिछले नीदरलैंड दौरे का यह पाया जाना कि उसका कोई लाभ धरातल पर किसानों को व कृषि क्षेत्र को नहीं मिला है परंतु बावजूद उसके मंत्री के इनकार के बाद भी अधिकारियों द्वारा इस दौरे को अंजाम देना जनता के पैसे के ऊपर डाके के समान है। अब यह प्रदेश के मुखिया के ऊपर निर्भर करता है की आर्थिक आपातकाल के दौर में वह अधिकारियों की मनमानी को कैसे रोकते हैं ।