हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 2,500 एसएमसी शिक्षकों के भी अब तबादले हो सकेंगे। शादी के बाद भी मायके में रहकर नौकरी करने वाली सैकड़ों शिक्षिकाओं के ससुराल पहुंचने की राह आसान होने जा रही है। नियुक्ति के 11 साल बाद शिक्षकों की तबादला नीति बनाने की तैयारियों में सुक्खू सरकार जुट गई है। वर्ष 2012 से प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज के क्षेत्रों के स्कूलों में एसएमसी शिक्षक नियुक्त हैं। सोमवार को शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मुलाकात कर यह मामला उठाया। बताया कि नियुक्ति के बाद से शिक्षकों के तबादले नहीं हुए हैं।

सरकार ने दुर्गम और दूरदराज के ऐसे स्कूलों में एसएमसी शिक्षकों को नियुक्त किया है, जहां नियमित शिक्षक जाने से गुरेज करते थे। शिक्षिकाओं ने रुंधे गले से कहा कि शादी होने के बाद भी वह नियमित तौर पर ससुराल में नहीं रह पा रही हैं। तबादले नहीं होने के चलते उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को आश्वस्त करते हुए मौके से ही शिक्षा सचिव अभिषेक जैन को एसएमसी शिक्षकों के लिए तबादला नीति बनाने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले पर सरकार सकारात्मक विचार करेगी।

संघ की कार्यकारी अध्यक्ष संगीता बोलीं, नौ साल से मायके में कर रहीं नौकरी पीरियड आधारित एसएमसी शिक्षक संघ की कार्यकारी अध्यक्ष संगीता राजपूत ने कहा कि वह नौ साल से सिरमौर जिले के दूरदराज क्षेत्र के एक स्कूल में अपने मायके में ही नौकरी कर रही हैं। ऐसे में मायके के घर में ही रहना मजबूरी है। उन्होंने कहा कि अब तो लोग भी पूछने लगे हैं कि वह यहीं क्यों रहती हैं, ससुराल क्यों नहीं गईं। वह अपनी मजबूरी कैसे बताएं।