बर्फीली फिजाओं के लिए देश-दुनिया में मशहूर पहाड़ों की रानी शिमला से बर्फबारी अब रूठ-सी गई है। साल 1990 से लेकर 2020 तक शिमला में बर्फबारी 37 फीसदी कम दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 1990 से 2000 के बीच में शिमला में जहां औसतन 129.1 सेंटीमीटर बर्फ गिरी थी, वहीं साल 2010-2020 के दशक में यह 80.3 सेंटीमीटर रह गई। बीते तीन सीजन में यह आंकड़ा दहाई के अंक को भी नहीं छू पाया है। विशेषज्ञ शिमला शहर में हिमपात कम होने को जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन, बढ़ती जनसंख्या व कम होते पेड़ों से जोड़कर देख रहे हैं। कम होती बर्फबारी से पर्यटन कारोबार और बागवानी पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।


बर्फीली फिजाओं के लिए देश-दुनिया में मशहूर पहाड़ों की रानी शिमला से बर्फबारी अब रूठ-सी गई है। साल 1990 से लेकर 2020 तक शिमला में बर्फबारी 37 फीसदी कम दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 1990 से 2000 के बीच में शिमला में जहां औसतन 129.1 सेंटीमीटर बर्फ गिरी थी, वहीं साल 2010-2020 के दशक में यह 80.3 सेंटीमीटर रह गई। बीते तीन सीजन में यह आंकड़ा दहाई के अंक को भी नहीं छू पाया है। विशेषज्ञ शिमला शहर में हिमपात कम होने को जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन, बढ़ती जनसंख्या व कम होते पेड़ों से जोड़कर देख रहे हैं। कम होती बर्फबारी से पर्यटन कारोबार और बागवानी पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।


तापमान बढ़ने से मौसम चक्र में परिवर्तन हो रहा है। सतह का तापमान बढ़ने से बर्फ के अणु जमा नहीं हो पा रहे और सतह पर बारिश के रूप में पहुंच रहे हैं। आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि शिमला में लगातार बर्फबारी कम होती जा रही है।– कुलदीप श्रीवास्तव, निदेशक, मौसम विभाग शिमला