
हिमाचल के लिए केंद्र सरकार की ओर से की गई मनरेगा बजट में कटौती के बाद प्रदेश सरकार ने मनरेगा कर्मियों के डीए, वेतन वृद्धि और अन्य भत्तों पर कैंची चला दी है। केंद्र से मिलने वाले ग्रांट घटने के बाद सरकार ने मनरेगा के तहत सेवाएं दे रहे 2550 से अधिक तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारियों को अतिरिक्त भत्ते न देने का फैसला लिया है। केंद्र से मिलने वाली मनरेगा ग्रांट से ही योजना के तहत सेवाएं देने वाले कर्मियों को वेतन और भत्ते दिए जाते हैं। प्रदेश में करीब 15 लाख परिवार मनरेगा योजना में पंजीकृत हैं जबकि महज 1 लाख लोग ही 100 दिन का रोजगार प्राप्त करते हैं। बीते साल हिमाचल प्रदेश को 300 लाख मानव दिवस स्वीकृत हुए थे जबकि 400 लाख मानव दिवस हासिल हुए थे।
निदेशक-सह-आयुक्त (मनरेगा) की ओर से प्रदेश के सभी उपायुक्तों, एडीसी, जिला विकास अधिकारी, जिला पंचायत अधिकारी और सभी खंड विकास कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र जारी कर मनरेगा कर्मचारियों को वित्तीय लाभ के भुगतान के संबंध में पत्र जारी किया है। पत्र में अवगत करवाया गया है कि भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मनरेगा में श्रम बजट को बीते साल 300 लाख मानव दिवसों से घटा कर 250 लाख मानव दिवस तक सीमित कर दिया है। जिसके कारण इस वित्त वर्ष के लिए योजना में सामग्री और प्रशासनिक शीर्ष में बजट आवंटन बहुत कम हो जाएगा। इसे देखते हुए सरकार ने मनरेगा के तहत लगे तकनीकी और गैर-तकनीकी योजना कर्मियों को वित्तीय बढ़ोतरी देना संभव नहीं है।