
हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। कई शोधों और अस्पतालों में आए आंकड़ों से यह साफ हो चुका है कि बच्चे और महिलाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। शिमला जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में धूप का असर सीमित रहता है। लोग अधिकतर घरों और दफ्तरों में ही रहते हैं, जिससे शरीर को पर्याप्त प्राकृतिक धूप नहीं मिल पाती। यह विटामिन डी की कमी का सबसे बड़ा कारण है। साथ ही कैल्शियम युक्त भोजन की कमी भी स्थिति को और बिगाड़ती है।
विटामिन बी 12 की कमी का कारण भोजन संबंधी आदतों से जुड़ा है। हिमाचल के बड़े हिस्से में लोग शाकाहारी भोजन पर निर्भर रहते हैं। दूध, अंडे और मांस जैसे स्रोतों का कम सेवन और कुछ मामलों में आंतों में पोषक तत्वों का सही से अवशोषण न होना, इस कमी को बढ़ाता है। विटामिन डी की कमी होने पर बच्चों में हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, बार-बार फ्रैक्चर, बच्चों में रिकेट्स (हड्डियों का टेढ़ा होना) और बड़ों में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां हो सकती है। विटामिन बी 12 की कमी से लगातार थकान होना, हाथ पैरों में झनझनाहट, याददाश्त कमजोर होना, चिड़चिड़ापन, खून की कमी (एनीमिया), नसों और दिमाग से जुड़ी बीमारियां तथा गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा आती है।
शिमला शहर के सरकारी स्कूलों में कुछ साल पहले हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 93 प्रतिशत से अधिक बच्चे विटामिन डी की कमी से ग्रसित हैं। इसी तरह कमला नेहरू अस्पताल शिमला में हुए एक शोध के अनुसार करीब 94 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इस कमी से जूझ रही थीं। कांगड़ा और शिमला जिलों में कुपोषित बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं पर किए शोधों ने भी गंभीर स्थिति उजागर की है। यहां पाया गया कि करीब आधी महिलाएं और 50 प्रतिशत से अधिक कुपोषित बच्चे विटामिन बी 12 की भारी कमी से प्रभावित हैं। डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि वह धूप में अधिक समय गुजारें।
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि लोग रोजाना कम से कम 20 से 30 मिनट धूप में समय जरूर बिताएं। भोजन में दूध, दही, अंडे, मछली, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां और सोया उत्पाद शामिल करें। विटामिन डी और बी 12 की गोलियां, सिरप या इंजेक्शन भी लगा सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही। गर्भवती महिलाओं और बच्चों की नियमित जांच आवश्यक है, ताकि कमी का पता समय रहते लगाया जा सके।
तेंजिन अस्पताल शिमला के एमएस डॉ. रमेश चंद ने बताया कि विटामिन डी के लिए शरीर का धूप से संपर्क बहुत जरूरी है। प्रदेश में ठंडे मौसम के कारण लोग कपड़े अधिक पहनते हैं और निचले राज्यों की तुलना में त्वचा धूप से कम विटामिन डी ले पाती है। विटामिन डी की कमी से लोगों में अवसाद बढ़ता है।