हिमाचल में भारी बारिश के बीच और नेशनल हाईवे को फोरलेन में तबदील करने के चलते यहां सफर करना खतरनाक हो गया है। हाईवे हाईरिस्कवे बन गए हैं। प्रदेश को सीधे जोड़ने वाले तीन बड़े नेशनल हाईवे कालका-शिमला, पठानकोट-मंडी और चंडीगढ़-मनाली पर सफर जरा संभलकर करें। पहाड़ियों से लगातार भूस्खलन हो रहा है। पत्थर और चट्टानें टूटकर गिर रही हैं। हालांकि, सरकार ने कर्मचारी और पूरी मशीनरी फील्ड में उतारी है। मलबा और पत्थर गिरने से कालका-शिमला फोरलेन को बीच-बीच में सिंगल लेन करना पड़ रहा है, लेकिन इसके लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया या फोरलेन निर्माण करने वाली कंपनी की ओर से कोई दिशा सूचक नहीं लगाया जा रहा है
इससे वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। वाहन चालकों को आगे जाकर पता चलता है कि रास्ता बंद है। उन्हें वापस मुड़कर दूसरे लेन पर आना पड़ रहा है। कालका-शिमला फोरलेन पर पहाड़ियों से गिरते पत्थर वाहन चालकों के लिए जानलेवा हो सकते हैं। शुक्रवार को पहाड़ी से गिरे मलबे और पत्थर की चपेट मे आने से दो कार चालक बाल-बाल बचे। सुबह 10:05 बजे दत्यार के समीप पहाड़ी से अचानक मलबा और पत्थर सड़क पर आ गिरे। इससे दूसरी लेन से कालका की ओर जा रही कार के बोनट के ऊपर से चट्टान का एक टुकड़ा निकल गया।
गनीमत यह रही कि कार के सामने पत्थर को आता देख चालक ने ब्रेक लगा दी। वहीं इससे पहले गुजरी गाड़ी रफ्तार से आगे निकल गई। परवाणू से सोलन तक हाईवे के पास पहाड़ी पर बने दर्जनों घरों को बारिश के चलते खतरा हो गया है, क्योंकि यहां पानी की निकासी का प्रावधान नहीं किया गया है। उधर, मंडी-पठानकोट एनएच पर चक्की खड्ड के बहाव से पुल के पिलरों को नुकसान हुआ है, वहीं पुल की सुरक्षा के लिए लगाई गई सुरक्षा दीवार और क्रेट बह गई। उधर, मनाली-चंडीगढ़ फोरलेन में मंडी से पंडोह के बीच छह मील व सात मील में भूस्खलन हो रहा है। यहां भूस्खलन से एनएच घंटों बाधित हो रहा है
कालका-शिमला रेल ट्रैक भी मलबा गिरने से रहा बाधित
उधर, कालका-शिमला रेल ट्रैक पर भी बार-बार मलबा गिरने से ट्रेनों को आवाजाही बाधित हो रही है। शुक्रवार को भी इस सेक्शन में चलने वाली दो ट्रेनें देरी से कालका रेलवे स्टेशन पहुंचीं। इसके चलते करीब दो घंटे ट्रेनों की आवाजाही नहीं हो सकी। अधिकतर मलबा धर्मपुर और सनवारा रेलवे स्टेशन के बीच में आ रहा है।
उफान पर नदी और नाले, सरकार ने मौसम को भांप कर ही यात्रा करने की दी सलाह
ब्यास और सतलुज नदियों सहित अन्य नदी-नाले पूरे उफान पर हैं। सरकार ने लोगों से मौसम को भांप कर ही यात्रा करने की सलाह दी है। पर्यटकों को विशेषकर नदी और नालों से दूरी बनाए रखने के लिए कहा है।
भूस्खलन के बाद रुक जाती है आवाजाही
पहाड़ियों से मलबा और पत्थर आने के बाद कालका-शिमला फोरलेन पर आवाजाही थम जाती है। मलबे को हटाने के बाद ही आवाजाही सुचारू होती है।
किरतपुर-मनाली फोरलेन भी भूस्खलन से घंटों हो रहा बाधित
किरतपुर-मनाली फोरलेन में मंडी से पंडोह के बीच छह मील व सात मील में भूस्खलन हो रहा है। यहां भूस्खलन से एनएच घंटों बाधित हो रहा है। पूर्व में यहां भूस्खलन से कुल्लू घाटी का संपर्क कट गया था। वैकल्पिक मार्ग में भी भूस्खलन से अब दिक्कतें बढ़ गई हैं।