राष्ट्रपति निवास रिट्रीट की तरह राजधानी शिमला में आम लोगों के लिए राजभवन (बार्नेस कोर्ट) के दरवाजे भी खुलेंगे। सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को दोपहर बाद 2:00 से शाम 5:00 बजे तक यहां आने के लिए ऑनलाइन बुकिंग होगी। इस धरोहर भवन में सैर सपाटा करने के लिए विदेशी नागरिकों को 100 रुपये, बाहरी राज्यों के लोगों को 50 और प्रदेशवासियों को 20 रुपये शुल्क देना होगा। स्कूल-कॉलेजों के माध्यम से आने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रवेश निशुल्क होगा।
बार्नेस कोर्ट नाम से मशहूर राजभवन में भारत-पाक के बीच ऐतिहासिक शिमला समझौता हुआ था। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल 15 अगस्त को राजभवन को अधिकारिक तौर पर आम जनता के लिए खोलने की घोषणा करेंगे। मंगलवार को इसी कड़ी में राज्यपाल ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना सहित उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान लोगों के प्रवेश, उन्हें राजभवन में घुमाने और सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई। राजभवन में लोगों को सैर सपाटा करवाने के लिए प्रशिक्षित गाइड रखने का फैसला लिया गया है।
कितना लगेगा शुल्क
विदेशियों को 100, बाहरी राज्यों के लोगों को 50, प्रदेशवासियों को 20 रुपये शुल्क देना होगा। स्कूल-कॉलेजों के माध्यम से आने वाले विद्यार्थियों के लिए राजभवन में प्रवेश निशुल्क होगा। राज्यपाल 15 अगस्त को घोषणा करेंगे। उन्होंने ने मुख्य सचिव से बैठक कर यह योजना बनाई है।
राजधानी शिमला के मशोबरा के समीप स्थित 173 वर्ष पुराना राष्ट्रपति निवास (रिट्रीट) 23 अप्रैल, 2023 से आम लोगों के लिए खोला गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अप्रैल में शिमला प्रवास के दौरान इसकी अधिकारिक घोषणा की थी।
बार्नेस कोर्ट भवन में रहते थे अंग्रेजों के कमांडर-इन-चीफ
वर्ष 1832 से पहले बने ऐतिहासिक बार्नेस कोर्ट भवन, जो अब राजभवन है, में अंग्रेजों के शासनकाल में उनके कमांडर-इन-चीफ रहते थे। इस भवन में पुरानी धज्जी दीवारें अंग्रेजों की तकनीक से बनी हैं। वर्तमान धरोहर भवन राजभवन में दरबार हॉल देखने योग्य है। यहां अंग्रेजों के शासनकाल का बिलियर्ड्स टेबल और पियानो भी है। इसके अलावा प्राचीन कलाकृतियां और दुर्लभ वस्तुएं भी हैं। इन चीजों को दिखाने के लिए राजभवन में कला दीर्घा बनाने की योजना है। राजभवन के बगीचे में रोपे गए पौधे और फूल भी आकर्षण का केंद्र हैं।
भारत-पाक के बीच यहीं हुआ था शिमला समझौता
इस भवन के ग्राउंड फ्लोर के कीर्तिकक्ष में 3 जुलाई, 1972 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था। यहां उस वक्त की कुर्सियां और मेज आज भी रखे गए हैं। शिमला समझौते का उद्देश्य कश्मीर से जुड़े विवादों का आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालना था। दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे रहें, इसके लिए कई कदम उठाने को लेकर दोनों देश राजी हुए थे।