रेलवे की परियोजना परवान चढ़ी तो बारिश के दौरान विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल सेक्शन बाधित नहीं होगा और बिना किसी परेशानी के टॉय ट्रेनों का संचालन होगा। इसके तहत रेल सेक्शन का कायाकल्प करने पर 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। योजना के तहत ऐसे संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया जाएगा, जहां बारिश के कारण रेलवे लाइन बाधित हो जाती है या फिर मिट्टी का कटाव अथवा भूस्खलन होता है। ऐसी जगह को मजबूत करने के लिए लोहे से निर्मित ढांचा तैयार किया जाएगा।

वहीं जमीन के अंदर लोहे के गर्डर भी स्थापित किए जाएंगे जो कि मिट्टी का कटाव व भूस्खलन रोकने में कारगर साबित होंगे। इसके अलावा रेल सेक्शन पर बने पुलों की सुरक्षा को लेकर भी विशेष प्रबंध किए जाएंगे। कालका-शिमला रेल सेक्शन को लेकर रेलवे की योजना तीन स्तर की होगी। इसमें पहाड़ी की सुरक्षा को लेकर भी प्रबंध किए जाएंगे ताकि वो अपनी जगह से अगर दरक भी जाए तो उसका मलबा रेलवे लाइन को नुकसान न पहुंचा सके।

वहीं रेलवे लाइन के किनारे पत्थरों को लगाकर तारों से बांधा जाएगा, जैसा कि तटबंध के नजदीक बनाया जाता है। वहीं रेलवे पुल को भी विशेष मजबूती प्रदान की जाएगी ताकि इसके नीचे से मिट्टी न खिसके। विदित हो कि बारिश के कारण कालका-शिमला रेल सेक्शन फिलहाल पूरी तरह से बंद है। तीन-चार दिन पहले समर हिल और जतोग रेलवे स्टेशन के बीच रेलवे पुल के नीचे से मिट्टी खिसक गई थी। इस कारण रेल पटरी हवा में लटक गई। अब इस हिस्से को दुरुस्त करने की तैयारी रेलवे ने शुरू कर दी है। इस पर लगभग 2.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं जो रेलवे लाइन कालका से सोलन के बीच बारिश के कारण पहले बाधित हुई थी।

उसे दुरुस्त करने में लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे, यानि फिलहाल इसे दुरुस्त करने पर 5.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पैसा रेलवे की तरफ से अंबाला मंडल को दिया जा चुका है और इस सेक्शन पर कार्य भी शुरू हो गया, लेकिन बारिश और भूस्खलन के कारण कार्य बार-बार प्रभावित हो रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में इस पर फिर से ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा। 

कालका-शिमला रेल सेक्शन की सुरक्षा को सुदृढ़ करने की योजना तैयार की गई है ताकि बारिश के कारण रेल सेक्शन बाधित न हो और ट्रेनों का संचालन नियमित किया जा सके। इस पर लगभग 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं जो रेलवे पुल समर हिल स्टेशन और जतोग के बीच क्षतिग्रस्त हुआ है। इसे भी विशेष गार्डर लगाकर दुरुस्त किया जाएगा ताकि दोबारा ऐसी स्थिति न बने। उन्होंने बताया कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में कालका-शिमला रेलवे ट्रैक का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।