हिमाचल प्रदेश में नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस में कर्मचारियों का शेयर मार्च के वेतन के लिए काट दिया गया है। यह अप्रैल के वेतन से नहीं कटेगा, जो 1 मई को देय होगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल के बाद कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस का हिस्सा कटना बंद होगा। हालांकि, इसके लिए कोई तैयारी नहीं है, न ही अभी सरकार ने इसके लिए कोई विकल्प मांगा है। प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम यानी ओपीएस को 1 अप्रैल के बाद से लागू किया जा रहा है। ओपीएस देना कांग्रेस की पहली गारंटी है। इसे सरकार ने सत्ता में आने के दस दिन बाद या पहली कैबिनेट बैठक से लागू करने की घोषणा की थी। राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक लोहड़ी के दिन 13 जनवरी को हुई थी।

इस बैठक में पुरानी पेंशन स्कीम को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्णय लिया गया है। बावजूद इसके कर्मचारियों के जनवरी और फरवरी के वेतन से एनपीएस का शेयर कटना बंद नहीं हुआ है। एनपीएस का यह शेयर भारत सरकार की एजेंसी पीएफआरडीए के पास जमा होता है। कर्मचारियों से 10 और सरकार की ओर से 14 प्रतिशत शेयर को जमा किया जाता है। लोहड़ी के दिन ओपीएस देने की घोषणा के बावजूद यह योजना आज दिन तक धरातल पर शुरू नहीं हो सकी है। हालांकि, हाल ही में सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि एक अप्रैल से एनपीएस का शेयर कटना बंद हो जाएगा। ऐसे में 1 अप्रैल से नई व्यवस्था लागू होने जा रही है।सरकारी कर्मचारियों से अभी तक नहीं मांगे विकल्प एनपीएस को लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारियों से अभी तक विकल्प नहीं मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि ओपीएस को लागू करने के लिए कर्मचारियों से विकल्प मांगे जाएंगे। यानी जिस सरकारी कर्मचारी ने ओपीएस का लाभ नहीं लेना है, उनसे एनपीएस में बने रहने के लिए लिखकर देना होगा। यानी वे अंडरटेकिंग देंगे।