सुक्खू सरकार विधानसभा उपचुनाव में चार सीटें जीत जाने से और सुरक्षित हो गई है। चुनावी नतीजों ने भाजपा के उस लक्ष्य को फेल कर दिया, जिसे कांग्रेस ‘आपरेशन लोटस’ कहती आई है। क्योंकि भाजपा छह में से दो सीटें ही जीत पाई है। उधर, कांग्रेस का विधानसभा में संख्या बल अब 38 पहुंच गया है। वहीं भाजपा के 25 से बढ़कर 27 विधायक हो गए हैं। नतीजे आने से ऐन पहले तीन निर्दलीय विधायकों के भी इस्तीफे मंजूर कर लिए गए। इससे विधानसभा अब 68 के बजाय 65 सदस्यों की रह गई है। यानी वर्तमान में कांग्रेस के बहुमत से पांच विधायक ज्यादा होंगे। वर्तमान में बहुमत के लिए 33 विधायक ही चाहिए। आगामी तीन विस उपचुनाव में अगर भाजपा के टिकट पर तीन निर्दलीय विधायक जीत भी जाते हैं तो भी सुक्खू सरकार सुरक्षित मानी जा रही है। राज्यसभा सदस्य के चुनाव के लिए कांग्रेस के छह विधायकों की क्रॉस वोटिंग से उपजा सियासी संकट चुनावी नतीजों से टल गया है।
चौदहवीं विधानसभा में कांग्रेस के 40, भाजपा के 25 विधायक और 3 निर्दलीय सदस्य थे। क्रॉस वोटिंग के बाद छह विधायक वित्त विधेयक पारित करते वक्त गैरहाजिर रहकर सरकार गिराने में भाजपा का सहयोग कर रहे थे कि विधानसभा अध्यक्ष की सूझबूझ से सरकार बच गई। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित 15 विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया। आधार यह बना कि उनकी एक दिन पूर्व उनके मार्शल से नोकझोंक हुई। सदन में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह विधायक भी व्हिप जारी करने के बावजूद गैरहाजिर रहे। इस बीच वित्त विधेयक पारित हुआ तो सरकार गिरने से बच गई। व्हिप जारी होने के बावजूद सदन में उपस्थित न होने पर छह कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया तो इससे इनकी सीटों पर भी लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव घोषित हो गए। उपचुनाव में छह में से दो सीटों को गंवाना कांग्रेस की बड़ी क्षति नहीं मानी जा रही है