हिमाचल को एक अप्रैल 2026 के बाद आगामी पांच साल का घाटा पूरा करने के लिए कम से कम 60 हजार करोड़ की जरूरत होगी। 16वें वित्त आयोग के समक्ष राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाने के राज्य सरकार ने अपने तर्क दिए हैं। सुक्खू सरकार ने 15वें वित्त आयोग की शिकायत करते हुए कहा कि घटते क्रम वाला फार्मूला लागू करने का नुकसान वर्तमान सरकार को ज्यादा हुआ है। यह फार्मूला 14वें वित्त आयोग ने नहीं लगाया था। हिमाचल सरकार को उम्मीद है कि 16वां वित्त आयोग अगले पांच वर्षों के लिए प्रदेश के साथ न्याय करेगा। मालूम रहे कि प्रदेश में 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद महज 8000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान ही दिया गया था। इस वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से बाहर हो गई थी।
इसके बाद अगले 14वें वित्त आयोग ने राज्य को अगले पांच वर्षों के लिए 40,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान दिया था। इसे सही क्रम में हर साल सही अनुपात में दिया गया, जिससे वार्षिक बजट में घाटे की आपूर्ति ठीक तरह से की जा सकी। इसके बाद 15वें वित्त आयोग ने पांच साल के लिए 37,199 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान देने का मूल्यांकन किया, जिसमें से शुरुआती वर्षों में अच्छी ग्रांट मिली। यानी वर्ष 2021-22 में यह 10,249 करोड़ रुपये दिया गया। 2022-23 में 9,377 करोड़, 2023-24 में 8058 करोड़, 2024-25 में 6258 करोड़ और 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये मिलनी प्रस्तावित की गई। यानी सुक्खू सरकार में यह पहले वर्ष में 8058 करोड़, दूसरे वर्ष 2024-25 में 6258 करोड़ और तीसरे साल 3257 करोड़ रुपये ही मिलेगी। आगे भी यही स्थिति न रहे। इसके लिए सरकार ने आयोग के समक्ष यह पक्ष रखा है।