हिमाचल प्रदेश में छह विधानसभा क्षेत्रों में विधायक प्राथमिकताएं अटक गई हैं। नए चुने विधायक ही यह तय करेंगे कि इन्हें जारी रखना है या नहीं। इनमें से अधिकतर योजनाओं की डीपीआर बनाने का काम ही शुरू नहीं हो पाया था। बीच में लोकसभा चुनाव और उपचुनाव आ गए। अब नवनिर्वाचित विधायक वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट के लिए नई प्राथमिकताएं देंगे या फिर पिछली को ही आगे चालू रखेंगे, इस पर तस्वीर साफ नहीं है। राज्य में पहले गगरेट, कुटलैहड़, बड़सर, सुजानपुर, धर्मशाला और लाहौल स्पीति के कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया। उसके बाद निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों के बाद देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में भी उपचुनाव हुए।लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनावों की की आदर्श चुनाव आचार संहिता की वजह से वैसे ही हिमाचल प्रदेश के कई विधानसभा हलकों में विकास कार्य धीमे हो गए थे, मगर गगरेट, कुटलैहड़, सुजानपुर, लाहौल-स्पीति, देहरा और नालागढ़ को नए विधायक मिले हैं तो यहां पहेली बनी हुई है कि ये पिछले विधायकों की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाएंगे या इनके स्थान पर नई प्राथमिकताएं देंगे। हालांकि, कुटलैहड़ के पूर्व कांग्रेस विधायक देवेंद्र कुमार भुट्टो ने बजट बुक में टोकन बजट का प्रावधान कर आगे खाने खाली छोड़े थे। अन्य ने योजनाओं के नाम दिए थे।