ढली-कैथलीघाट फोरलेन पर शोघी के पास 705 मीटर लंबी संगल सुरंग के मंगलवार को दोनों छोर मिल गए। एनएचएआई हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित की अध्यक्षता में सुरंग की ब्रेकथू सेरेमोनी हुई। इस दौरान क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने कहा कि इस टनल के ऊपर पहाड़ी पर पांच हजार पेड़ हैं। अगर टनल नहीं बनती तो फोरलेन बनाने के लिए पहाड़ी काटनी पड़ती।

हमने पांच हजार पेड़ों को बचाने के साथ पहाड़ी को काटने से बचाया है।  प्रोजेक्ट के तहत अभी और नौ और टनल बननी हैं। उसमें भी हजारों पेड़ों के अलावा पहाड़ कटने से बच जाएंगे। दिसंबर 2026 तक यह फोरलेन बनकर होगा। फोरलेन बनने से कैथलीघाट से ढली के बीच दूरी करीब 15 किमी कम होगी और दो से ढाई घंटे के समय की बचत होगी। शिमला शहर में प्रदूषण भी कम होगा।

अब्दुल बासित ने कहा कि इस फोरलेन निर्माण में कई तरह की चुनौतियां हैं। एक पुल में एक पिलर की ऊंचाई दो कुतुब मीनार(150 मीटर) है। शकराल पुल के पियर की ऊंचाई 210 मीटर है जोकि करीब तीन कुतुब मीनार के बराबर है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना चुनौतीपूर्ण कार्य है।

कहा कि टनल सुरक्षा में अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुसरण किया जा रहा है। सेफ्टी ऑडिट भी किया गया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया चंडीगढ़ के साथ भी एनएचएआई ने एमओयू किया है। जीएसआई लगातार टनलों का निरीक्षण करता है। टनल से भूस्खलन भी कम होता है। क्योंकि पहाड़ी को काटने से भूस्खलन की घटनाएं ज्यादा होती हैं।