बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि तिब्बत के प्रति गलत व्यवहार के बावजूद उन्हें कभी भी चीन के नेतृत्व और नेताओं पर गुस्सा नहीं आता। मैक्लोडगंज स्थित अपने आवास पर गुरुवार को हजारों लोगों के बीच अपना 88वां जन्मदिन मनाते हुए दलाईलामा ने कहा, मैंने बहुत मुश्किल वक्त सहा, लेकिन अपना इरादा और हौसला डगमगाने नहीं दिया। चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार हो रहा है

दलाईलामा ने कहा कि मैं 10 से 20 साल तक और जिऊंगा और हमेशा हर धर्म और समुदाय की सेवा करूंगा। दलाईलामा के रूप में मैंने तिब्बत की संस्कृति को बचाने के लिए अथक प्रयास किए हैं। मैं माओ से तुंग (चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के दिवंगत नेता) से चीन में मिला था। चीन में हुई अंतिम बैठक में उन्होंने मुझसे कहा था कि आपका दिमाग वैज्ञानिक सोच का है, लेकिन धर्म एक जहर है। उस वक्त मैंने उनकी इस बात पर कोई उत्तर नहीं दिया था। आज अगर वह जिंदा होते तो उनकी सोच अलग होती और मैं उनको बौद्ध धर्म में परिवर्तित करने में सक्षम होता।

दलाईलामा ने कहा कि वैश्विक समाज सेनाओं और हथियारों से मुक्त होना चाहिए। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन अति महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दा है। दलाईलामा ने कहा कि अपने अच्छे कर्मों की वजह से मैंने तिब्बत में जन्म लिया। मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में दुनिया भर से आए अनुयायियों ने दलाईलामा का जन्मदिन मनाया। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।