हिमाचल प्रदेश में पहली बार अब फलों और सब्जियों के सैंपल भी भरे जाएंगे। मंडी जिला से इसकी शुरुआत हो रही है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी खेतों से लेकर मंडी की तरफ रवाना होने और बाजार में बिकने के लिए पहुंचने पर फल और सब्जियों के सैंपल भरेंगे। जांच के लिए इन सैंपलों को मुंबई भेजा जाएगा। रिपोर्ट भी 40 के बजाय अब 14 दिनों में मिल जाएगी। फल व सब्जी में कीटनाशक व रसायन की मात्रा ज्यादा पाई गई तो भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से अधिकृत लैब रिपोर्ट के आधार पर अदालत में मामला दर्ज करवाया जाएगा
दरअसल, सेब, टमाटर, प्लम, खुमानी, आडू समेत अन्य फलों में आकर्षक रंग व आकार देने के लिए कई तरह के रसायनों का स्प्रे किया जाता है। अधिक रसायन के स्प्रे से फल और सब्जी दिखने में तो अच्छे लगते हैं लेकिन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसके अलावा फलों व सब्जियों में कीड़े मारने के लिए भी कीटनाशक स्प्रे होता है। टमाटर में भी रोजाना स्प्रे किया जाता है। कीटनाशक व रसायन के बढ़ते प्रचलन के चलते ही हिमाचल में जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके उत्पाद भी हाथों हाथ बिक रहे हैं।
कोल्ड चेन की पूरी व्यवस्था
प्रदेश में फिलहाल इस तरह के सैंपल नहीं भरे जाते हैं। अब हिमाचल में विभाग के पास कोल्ड चेन की पूरी व्यवस्था है। सैंपल लेने, भेजने व अपने पास सुरक्षित रखने का प्रावधान भी है। इसी के चलते इस तरह के सैंपल लेने की कवायद अब शुरू हुई है। पूर्व में केले के सैंपल भरकर इन्हें जांचने का प्रयास मंडी जिले से ही किया गया था।
केले के सैंपल जांच के लिए भेजे गए, लेकिन लैब में पहुंचने से पहले ही केले सड़ गए और इनकी जांच नहीं हो पाई। अब लैब से सैंपल रिपोर्ट 14 दिनों में मिल जाती है, जबकि पूर्व में यह समय 40 दिन था। यदि कोई व्यक्ति दूसरी लैब से सैंपल जांच करवाने की मांग करता है तो प्रीजर्व किए गए सैंपल को जांच के लिए भेजा जा सकता है। पूर्व में यह संभव नहीं था।
सब्जी व फलों में कीटनाशक व रसायन की मात्रा को जांचने के लिए एफएसएसएआई ने कुछ लैब को अधिकृत किया है। यहां सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। लैब रिपोर्ट से साफ हो पाएगा कि फल व सब्जी के सैंपल में कीटनाशक व रसायन की कितनी मात्रा है। एफएसएसएआई के मानकों के अनुसार मात्रा अधिक होने पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।