कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 पर परवाणू से सोलन तक फोरलेन में लोगों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। परवाणू से सोलन तक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी लगातार भूस्खलन हो रहा है। हाईवे पर दत्यार और सनवारा में सड़क पर वनवे आवाजाही है। आधा दर्जन जगहों में पत्थर और मिट्टी गिरती रहती है। बारिश के दौरान हाईवे पर आधा दर्जन क्षेत्र में पहाड़ी वाली लेन को बंद कर यातायात दूसरी लेन में डायवर्ट करना पड़ता है
इससे यहां हादसों का खतरा रहता है। कब पहाड़ी से पत्थर और मलबा आ जाए, कुछ पता नहीं होता। बीते वर्षों में फोरलेन निर्माण के दौरान कई जगहों पर पहाड़ियों पर पत्थर और मलबा गिर चुका है। पत्थर और मलबा गिरने के कारण हादसे भी हो चुके हैं। अधिकतर परेशानी लोगों को दत्यार, तंबूमोड, चक्कीमोड, जाबली, सनवारा, धर्मपुर, पट्टामोड, कुमारहट्टी, बड़ोग बाईपास में वाहन चालकों को होती है। यहां पर पहाड़ी के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर अटके हुए हैं। यह पत्थर कभी भी सड़क पर गिर सकते हैं।
वहीं बारिश के दौरान भी इन जगहों पर अधिक भूस्खलन होता है। कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर प्रथम चरण में परवाणू से सोलन तक फोरलेन निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। सड़क को फोरलेन में बदलने के लिए कंपनी की ओर से पहाड़ियों पर जेसीबी चलाई थी। पहाड़ों से छेड़छाड़ होने के बाद से लगातार पहाड़ दरक रहे हैं। इससे लोगों को अब मुसीबत का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं बारिश के दिनों में पहाड़ियों के ऊपर बने घरों पर भी खतरा मंडराया रहता है।