मंडी जिले के टाइडमैन अर्ली बर्सेस्टर सेब ने मंडियों में दस्तक दे दी है। यह सेब मंडियों में हाथोंहाथ बिक रहा है। करसोग की चुराग मंडी के साथ शिमला, सोलन, परवाणू, चंडीगढ़ और आजादपुर दिल्ली की मंडियों में टाइडमैन 1,500 से लेकर 2,000 रुपये प्रति बॉक्स की दर से बिक रहा है। बॉक्स में 24 किलो सेब होता है। ऐसे में अधिकतम प्रति किलो के हिसाब से 83 रुपये दाम मिला है। इस किस्म का सेब करसोग घाटी में पाया जाता है

हिमाचल के दूरवर्ती क्षेत्र सेब की विभिन्न प्रजातियों से भरे हुए हैं। इसी बीच अब अर्ली वैरायटी सेब बागवानों और ग्राहकों की पसंद बन रही है। यह सेब जून-जुलाई के महीने में ही बाजार में दस्तक दे देता है। करसोग क्षेत्र के बागवान विक्रम सिंह रावत, चमन लाल गुप्ता, हीरा लाल महाजन, डाॅक्टर जगदीश शर्मा, सुमित गुप्ता, सुरेश शर्मा, हेमराज गुप्ता, धर्मपाल महाजन, नरेश गुप्ता, मनोज शर्मा, नानक चंद का कहना है कि इन नवीन प्रजातियों के कारण सेब जून-जुलाई महीने में ही प्रदेश और देश के उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।

शुरुआती दौर में दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। टाइडमैन अर्ली बर्सेस्टर सेब बॉक्स को अधिकतम 2,000 रुपये दाम मिला है। उधर, बागवानी निदेशालय में विशेषज्ञ डॉ. शरद गुप्ता का कहना है कि टाइडमैन अर्ली वर्सेस्टर नाम की सेब की वैरायटी बाजार में दस्तक दे चुकी है। थोड़ा चपटा सा दिखने वाला यह सेब रैड जून वैरायटी के बाद सबसे पहले भारी मात्रा में मंडियों में दस्तक दे देता है। इसे एक अच्छे परागकण के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस कारण इस वैरायटी के पेड़ में अधिक मात्रा में फल लगते हैं और बागवान अच्छा मुनाफा अर्जित कर लेते हैं।

90 दिन में पककर तैयार होती है यह किस्म
बागवानी विभाग के डॉक्टर शरद गुप्ता का कहना है कि इस वैरायटी को एमएम टाइडमैन नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1929 में इंग्लैंड में तैयार किया गया था। यह बर्सेस्टर पियरमैन और मैकिन्टोश की संकर किस्म है। लाल छिलका खुशबूदार स्वादिष्ट गुदे वाला यह फल 90 दिन में पककर तैयार हो जाता है।