मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वीरवार को केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, राजनाथ सिंह और निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर बारिश से हिमाचल प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मदद मांगी। सुक्खू ने केंद्रीय गृह मंत्री शाह से दो हजार करोड़ रुपये की राहत राशि तुरंत देने का आग्रह किया। केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण का 830 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता देने के लिए आभार जताया।

उनसे अतिरिक्त विशेष केंद्रीय सहायता भी मांगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उन्होंने स्पीति घाटी के रंगरीक में सामरिक दृष्टि से हवाई पट्टी बनाने का आग्रह किया। वहीं, चीन अधिकृत तिब्बत सीमा के निकटवर्ती गांवों में नई सड़कों के निर्माण और बीआरओ की सड़कें दुरुस्त करने की भी मांग की। सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों को जोड़ने के लिए नई सड़कों के निर्माण के अलावा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से बनाए राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने पुरानी हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क बनाने, ज्यूरी से भावानगर तक समानांतर स्ट्रेच विकसित करने, खाब-लियो-चांगो सड़क को विकसित करने और भाबा-मुद सड़क पर भाबा टॉप के नीचे टनल बनाने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इससे काजा और शिमला के बीच की दूरी 70 किलोमीटर कम हो जाएगी। सीएम सुक्खू ने भारी बारिश से हुई क्षति का आकलन करने को केंद्रीय समिति भेजने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री शाह का आभार जताया।

उन्होंने राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए दो हजार करोड़ रुपये की तुरंत राहत मांगी। सुक्खू ने कहा कि आपदा राहत के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र से प्राप्त निधि संबंधित विभागों और उपायुक्तों को जारी कर दी है। वर्ष 2019-2020 और 2020-2021 के लिए राष्ट्रीय व राज्य आपदा राहत निधि के तहत लंबित 315 करोड़ रुपये की राशि शीघ्र जारी हाेगी। सुक्खू ने राजनाथ सिंह से स्पीति घाटी के रंगरीक में सामरिक दृष्टि से हवाई पट्टी के निर्माण का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह स्थान उत्तरी सीमा से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित है और स्पीति घाटी के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 505 के अतिरिक्त अन्य कोई संपर्क साधन नहीं है।

गोला बारूद डिपो पोवारी को स्थानांतरित करने का आग्रह

सीएम सुक्खू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से गोला बारूद डिपो पोवारी को स्थानांतरित करने का आग्रह कर बताया कि इसके दृष्टिगत दो वैकल्पिक स्थलों की पहचान की गई है। राज्य सरकार भूमि उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि 450 मेगावाट क्षमता की शोंगटोंग कड़छम जल विद्युत परियोजना इस डिपो के ठीक सामने सतलुज नदी के बाएं किनारे स्थित है और सिल्ट फ्लशिंग टनल का उत्खनन गोला बारूद डिपो की पाबंदियों के कारण आउटलेट पोर्टल के बजाय इनलेट पोर्टल से किया जा रहा है।