दसवीं के फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी हासिल करने वाले नौ और डाक सेवकों को बर्खास्त किया गया है। सभी शिमला डाक मंडल में नौकरी कर रहे थे। आरोपी हरियाणा के जींद के रहने वाले हैं। बीते दिन भी फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल करने के तीन मामले पकड़े थे। ये तीनों डाक सेवक भी उत्तर प्रदेश (यूपी) और हरियाणा के थे। बताया जा रहा है कि आरोपियों की शिमला डाक मंडल के सब डिवीजन चौपाल और रोहड़ू की विभिन शाखाओं में तैनाती की गई थी।
ये सभी एक से पांच साल तक नौकरी करते रहे। साेनू ने कोटखाई के गुम्मा, साहिल ने भी गुम्मा, विक्रम ने बखोल, राकेश ने नागन, राकेश ने मतियाना के केलवी, रवि कुमार ने क्यारी के गलेहा, सुशील ने नेरवा के मधाना, अमन ने टिक्कर के डरारा, विकास ने धामी शाखा में नौकरी हासिल की थी। जांच में इनके दसवीं कक्षा के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। आरोपियों के फर्जी सर्टिफिकेटों में 600 में से 588 से लेकर 591 अंक दर्ज थे।
इस मामले में आगे की जांच पुलिस को सौंप दी है। फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले माफिया के तार उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों से जुड़े हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि डाक विभाग दिल्ली मुख्यालय ने हिमाचल प्रदेश के कसुम्पटी स्थित डाक मंडल कार्यालय को 2018 से 2022 तक माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज से दसवीं कक्षा के प्रमाण पत्रों के आधार पर चयनित हुए सभी अभ्यार्थियों के सर्टिफिकेट जांचने के निर्देश दिए थे। इस पर डाक मुख्यालय दिल्ली ने पोस्ट मास्टर जनरल प्रयागराज को जांच अधिकारी अधिकृत किया था। सर्टिफिकेटों की जांच की गई तो सभी फर्जी पाए गए। शिमला जिला में फर्जी सर्टिफिकेट के 12 मामले सामने आने के बाद अब प्रदेश
अन्य जिलों में भी ऐसे मामले होने की आशंका है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने आरोपियों के सर्टिफिकेटों को पहले असली बता दिया था। बाद में डाक विभाग ने पोस्ट मास्टर जनरल प्रयागराज को खुद जाकर सर्टिफिकेटों की सत्यता जानने के निर्देश दिए। दोबारा जांच हुई तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
2018 से 2022 तक माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज से दसवीं के सर्टिफिकेटों के आधार पर नौकरी हासिल करने वालों के प्रमाण पत्रों की जांच की गई है। 12 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। सभी आरोपियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। जालसाजी से प्रमाण पत्र बनाने पर आगे की जांच पुलिस को सौंपी गई है।