हिमाचल प्रदेश में पहली बार वजन के आधार पर सेब की ढुलाई होगी। बागवानों को ट्रांसपोर्टरों के शोषण से बचाने के लिए सरकार इस सेब सीजन से यह व्यवस्था करेगी। सरकार की ओर से उपायुक्तों को आदेश जारी किए जाएंगे। उपमंडल स्तर पर संबंधित एसडीएम यह व्यवस्था लागू करेंगे और मनमानी करने वालों पर कार्रवाई करेंगे। अब तक प्रदेश में सेब ढुलाई की दरें पेटी के आधार पर तय होती हैं। हिमाचल प्रदेश पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट 1955 के तहत प्रति किलोमीटर प्रतिकिलो के आधार पर सेब ढुलाई का किराया तय किया जाएगा।
अब तक बागवानों से मंडियों तक सेब पहुंचाने के लिए पेटी के आधार पर किराया वसूला जाता था। सेब की ढुलाई का भाड़ा अधिक होने के कारण कई बार बागवान पेटियों में अतिरिक्त तहें पैक कर देते थे, ऐसा करने से भाड़ा तो बच जाता था, लेकिन हर पेटी में 4 से 6 किलो अतिरिक्त सेब चला जाता था और सेब की गुणवत्ता भी प्रभावित होती थी।
किलो के हिसाब से सेब खरीद के बाद सरकार ने सेब ढुलाई का भाड़ा भी वजन के हिसाब से तय करने का फैसला लिया है। इस सीजन से यह व्यवस्था लागू करने के लिए उपायुक्तों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सुनिश्चित किया जाएगा कि बागवानों को उपज का सही दाम मिले और ट्रांसपोटेशन के नाम पर बागवानों का शोषण न हो।
आधे से कम हो सकता है दिल्ली का सेब किराया
शिमला से दिल्ली का सेब की 28 किलो की पेटी का किराया 120 से 130 रुपये वसूला जाता है, जबकि वजन के हिसाब से ट्रांसपोटेशन का रेट 2 से ढाई रुपये किलो है। वजन के हिसाब से जब सेब का किराया तय होगा तो शिमला से दिल्ली सेब की 24 किलो की पेटी का किराया 48 से 60 रुपये ही चुकाना होगा।