भारी बारिश से जहां बागवान और किसान परेशान हैं, वहीं अब देशभर के मशरूम उत्पादकों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। उत्तरी भारत समेत अन्य राज्यों में बारिश से हवा में अधिक नमी के चलते बटन, ढिंगरी समेत अन्य मशरूम में क्लेडोबोट्रियम फंगस लग रही है। इसे कोवेव रोग के नाम से जाना जाता है। इसमें अभी तक 35 फीसदी मशरूम खराब हो चुकी है। वहीं लगातार अब बीमारी बढ़ती जा रही है।
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देशभर में ढिंगरी मशरूम का उत्पादन 50,000 मीट्रिक टन और बटन का 2.50 लाख मीट्रिक टन होता है। खुंब निदेशालय के विशेषज्ञों को इन दिनों रोजाना व्हाट्सएप ग्रुप और फोन के माध्यम से यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड समेत अन्य राज्यों से कोवेव को लेकर जानकारी दे रहे हैं। विशेषज्ञों की ओर से भी इससे निपटने के लिए किसानों को सलाह जारी की जा रही है। बरसात में अधिक नमी से मशरूम में क्लेडोबोट्रियल फंगस लग जाती है। यह एक मशरूम से दूसरी तक भी पहुंच जाती है। इससे कई नए उत्पादकों की पूरी फसल खराब हो गई है।
उत्पादकों को किया जा रहा जागरूक
खुंब निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि बरसात के समय मशरूम कोवेव रोग की शिकार हो जाती है। इस बार अधिक बारिश हुई है। इस कारण इससे नुकसान भी अधिक हुआ है। उत्पादकों को समय-समय पर इसके लिए एडवाइजरी भी जारी की जाती है।
क्या करें क्या न करें
मशरूम निदेशालय सोलन के रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल ने बताया कि कोवेव रोग बरसात के मौसम में मशरूम को नुकसान पहुंचता है। मुख्य कारण मशरूम बैग अधिक नमी में रहता है। इस कारण क्लेडोबोट्रियम फंगस, जो रुई की तरह सफेद स्वस्थ मशरूम के ऊपर उत्पन्न होती है, जिससे वह सड़ने लग जाती है। इससे पूरी मशरूम की उपज को भी नुकसान हो सकता है। ऐसे में रोग की रोकथाम करना जरूरी हो जाता है।
रोकथाम के लिए मशरूम कक्ष में और खाद बनाते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें। कंपोस्ट में पर्याप्त मात्रा में जिप्सम मिलाना चाहिए और अधिक मात्रा में पानी न डालें। पीक हीटिंग से पहले कंपोस्ट ज्यादा गीला न हो। कमरे में अधिक नमी होने पर हवा और हीटिंग से इसका तापमान बनाकर रखें। समय-समय पर मशरूम कक्ष में तामपान को भी जांचना चाहिए। कमरे के फर्श पर चूना और नमक डालना चाहिए।