आपदा मित्र स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश में 50,000 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की 8वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा मित्र योजना को प्रभावी तौर पर लागू किया जाना चाहिए ताकि पुलिस, होमगार्ड, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए और आपदा की स्थिति में युवा आपदा प्रबंधन में अपना योगदान दे सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूथ वालंटियर टास्क फोर्स के अंतर्गत एनसीसी और एनएसएस वालंटियर तथा काॅलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि आपदा के समय ज्यादा से ज्यादा वालंटियर राहत व बचाव कार्यों को गति प्रदान कर सकें। 

बैठक में केंद्र सरकार की आपदा मित्र योजना और प्रदेश सरकार की स्कूल सेफ्टी योजना, हाॅस्पिटल सेफ्टी योजना, भूकंपरोधी भवन बनाने हेतु नेसन ट्रेनिंग प्रोग्राम और यूथ वालंटियर टास्क फोर्स योजनाओं के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। 
निदेशक एवं विशेष सचिव राजस्व आपदा प्रबंधन डीसी राणा ने बताया कि प्रदेश में आपदा मित्र योजना के तहत अब तक 15000 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। योजना के तहत 50,000 अन्य स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जाना है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से 2019 से यूथ वालंटियर टास्क फोर्स स्कीम का संचालन किया जा रहा है। भारत सरकार की आपदा मित्र स्कीम के तहत प्रदेश में 1500 स्वयंसेवी प्रशिक्षित किया गए हैं। कोई भी कॉलेज, विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना, एनसीसी, गैर सरकारी संस्थाएं, रिटायर्ड सैनिक एवं अर्ध सैनिक बल के सदस्य तथा कोई भी अन्य युवा अपनी सेवाएं दे सकते हैं। सभी स्वयंसेवकों को राज्य या जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से 3 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की वेबसाइट www.hpsdma.nic.in पर इच्छुक व्यक्ति खुद को पंजीकृत कर सकते है। 

संवेदनशील क्षेत्रों का सघन आकलन जरूरी : सक्सेना
 मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों का सघन आकलन किया जाना चाहिए। सक्सेना ने सोमवार को शिमला में भारी बारिश से हुए नुकसान के कारणों और प्रभावों के लिए गठित टीम के प्रारंभिक आकलन की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि पहाड़ी ढलानों में कटान, कमजोर ढलानों में मलबे का निष्पादन और अनियोजित जल निकासी व्यवस्था के कारण शहर में भारी बारिश के कारण अत्यधिक नुकसान हुआ है। मुख्य सचिव सक्सेना ने कहा कि इस वर्ष बरसात के दौरान प्रदेश भर में भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है। उन्होंने कहा कि शिमला में वर्ष 2022 में अगस्त महीने में 514.30 मिलीमीटर की तुलना में इस वर्ष अब तक 552.1 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है।