हिमाचल में जल विद्युत परियोजनाओं को सितंबर में वाटर सेस के बिल जारी होंगे। हिमाचल में 175 जल विद्युत परियोजनाएं हैं। इनमें सरकार को सालाना दो हजार करोड़ रुपये की आय होगी। प्रदेश सरकार की ओर से गठित जल उपकर आयोग ने हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड, हरियाणा और जम्मू सरकार से उन कंपनियों का ब्योरा मांगा है जो राज्यों में वाटर सेस की अदायगी कर रही है। प्रदेश सरकार ने दो टैरिफ ए और पार्ट बी में वाटर सेस वसूलने का फैसला लिया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने जल विद्युत परियोजनाओं से लिए जाने वाले वाटर सेस (जल उपकर) की दरें आधी कर दी हैं। कैबिनेट से दरों की युक्तिकरण की मंजूरी मिल चुकी है। जल विद्युत परियोजनाओं से वाटर सेस वसूलने के लिए दो टैरिफ बनाए गए हैं।
प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए ऊर्जा उत्पादकों पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया गया है। प्रदेश में छोटी-बड़ी पन बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाए जाने से सरकार को हर साल करोड़ों की कमाई होनी है। इसको लेकर सरकार अध्यादेश भी ला चुकी है। जल उपकर आयोग का भी गठन किया जा चुका है। पहले सरकार ने प्रति घन मीटर 0.10 रुपये से 0.50 रुपये तक वाटर सेस वसूलने का फैसला लिया था। अब इसे घटाकर प्रति घन मीटर 0.06 से लेकर 0.30 रुपये प्रति घन मीटर किया गया है। यह राशि 12 साल के बाद वसूल की जाएगी। इससे पहले वाटर सेस की दरें वसूल करने के लिए अलग-अलग टैरिफ बनाया गया है। आयोग के अध्यक्ष अमिताभ अवस्थी ने बताया कि वाटर सेस वसूलने की दरों को आधा किया गया है।