भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने अपने बयान में कहा गत 9 महापूर्व कांग्रेस की सरकार के सामने मिशनरी द्वारा संचालित कॉन्वेंट स्कूलों की मनमानी व उन्हें आदर्श मानकर कार्यरत अन्य प्राइवेट स्कूल व शिक्षा संस्थानों द्वारा अभिभावकों का शोषण रोकना एक बड़ी चुनौती थी। अपितु
लगभग 130 स्कूलों को डिनोटिफाइड करके सरकार ने इन दुकानों को प्रोत्साहित किया है जो राजनीतिक अनुभवहीनता की परम सीमा है। घर द्वार तक शिक्षा आज तक प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों की प्राथमिकता रही है। यह एक नया दौर है जहां शिक्षा को प्राथमिकता से हटाया जा रहा है। स्कूलों से लेकर विद्यालयों तक को बंद किया जा रहा है वह विवादित व प्रशासनिक एवं न्यायालयों में विचाराधीन शैक्षणिक संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हद तो तब हो रही है जब मंडी के सरदार पटेल यूनिवर्सिटी का कार्य क्षेत्र घटाया जा रहा है व उसे बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। वही पालमपुर विश्वविद्यालय बिना कुलपति के चल रहा है व कई विभाग बंद हो गए हैं या बंद होने की कगार पर है।
शिमला विश्वविद्यालय मे भी कुलपति नहीं है अतिरिक्त कार्यभार पर कुलपति काम कर रहे हैं। ऐसा लगता है प्रदेश सरकार में शिक्षा प्राथमिकता में नहीं है।
कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा शिक्षा को राजनीतिक सुविधा पर तुष्टिकरण से वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। उसी के नक्शे कदम पर प्रदेश सरकार भी बढ़ रही है।
ना शिक्षा होगी, ना शिक्षित होंगे, ना बेरोजगार होंगे, ना रोजगार मांगेंगे इस नीति पर सरकार काम कर रही है।
जब के 5 सितंबर को भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति व पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। भारतवर्ष इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाता हैं जहां डॉक्टर साहब का सपना भारत को आधुनिक शिक्षा प्रणाली की तरफ ले जाना था। वहीं आज हिमाचल प्रदेश के शिक्षा संस्थानों और शिक्षित बेरोजगारों का क्या हाल है वह सबके सामने है।
राजधानी दिल्ली व केंद्र शासित प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो हिमाचल प्रदेश भारत का दूसरा सबसे शिक्षित प्रांत है। वहां पर सुख की सरकार की उदासीनता शिक्षा प्रणाली व नीति के संदर्भ में जग जाहिर हो रही है। शिक्षा जगत व भारतीय जनता पार्टी की ओर से हम केवल इतना कहना चाहते हैं शिक्षा ही
कर्तव्यों का बोध कराती और अधिकारों का ज्ञान ,शिक्षा से मिल सकता है प्रदेश को सम्मान। प्रतिवर्ष 100,000 शिक्षित बेरोजगार युवा को रोजगार देने का झांसा देकर सत्ता में आई यह सरकार शैक्षणिक संस्थाओं के डिनोटिफिकेशन का आंकड़ा अवश्य बढ़ा रही है। सरकार की इस नीति के मध्य नजर
मुख्यमंत्री जी को इस आपदा की घड़ी में स्मरण कराना चाहते हैं।
जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से हो, शिक्षा से भी घर रोशन किए जा सकते हैं।।