हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच एक सियासी छिंज अभी रुकी नहीं है कि अब दूसरी महाछिंज (लोकसभा चुनाव)का नगाड़ा बजने वाला है। कांग्रेस में बगावत और इसे हवा देती भाजपा ने इस महाछिंज के अखाड़े को ही बदल दिया है। हालांकि अभी प्रमुख पहलवान (प्रत्याशी) तय नहीं हैं। यानी पहले से ही चल रही सरकार गिराने और बचाने की कशमकश के बीच भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार अभी तय नहीं हो पाए हैं। पर दोनों दल कठोर कसरत कर रहे हैं। पिछले दो आम चुनाव में कांग्रेस को चारों खाने चित कर चुकी भाजपा हैट्रिक लगाने की हुंकार भर चुकी है।

सवा दो साल पहले उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से मंडी की सीट झटककर प्रतिभा सिंह को अकेला सांसद बनाया जरूर था, पर बदले माहौल में अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस के पास चारों सीटों पर इसी दमखम को बनाए रखना पहाड़ जैसी चुनौती है। गृह राज्य होने के चलते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ प्रादेशिक नेताओं के लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। कांग्रेस के घर में फूट पड़ने के बाद सीएम सुक्खू और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह की भी कड़ी परीक्षा है, विशेषकर जब 6 विधायक अपनी सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत कर इसे संकट में डालने से भी नहीं हिचके।