आख़िर विपक्ष दलितों व अल्पसंख्यकों के हितों के ख़िलाफ़ क्यों: अनुराग ठाकुर
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा एवं खेल मामलों के मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज नई दिल्ली में संवाददाताओं से वार्तालाप करते हुए नागरिकता कानून (CAA) पर विपक्ष के बयानों को असंवेदनशील झूठा प्रोपेगंडा बताते हुए इस क़ानून को नागरिकता लेने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून बताया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयानों को बेहद असंवेदनशील बताते हुए श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने राजनीति को दूषित किया है। आज सुबह उनका बयान सुनकर मेरे मन को अत्यंत पीड़ा हुई। मैंने सोचा कि आखिर कोई इंसान इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है? पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश में अगर किसी हिंदू, सिख बौद्ध, पारसी या इसाई की 12 वर्ष की बच्ची को जबरन उठाकर रेप किया जाता है और फिर उसका धर्म परिवर्तन कर निकाह कराया जाता है तो आप सोचिए उनकी पीड़ा क्या होगी, उनके परिवार की क्या पीड़ा होगी। अरविंद केजरीवाल जी भी एक बच्ची के पिता है क्या उन्हें उन गरीब माता-पिता का दर्द नहीं दिख रहा? उन पीड़ित बच्चियों की मां से पूछिए कि दर्द क्या होता है। इसपर अरविंद केजरीवाल देश की राजधानी से प्रेस कांफ्रेंस करके पूछ रहे हैं कि उन्हें क्यों लाया जा रहा है?”
श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “देश का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था। जो हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक वहां रह गए उनके बारे में नेहरू जी ने कहा था कि उन्हें वहां संरक्षण मिलेगा। लेकिन कांग्रेस ने 70 वर्षों में उन्हें कोई संरक्षण नहीं दिलाया। जो काम कांग्रेस 70 वर्षों में नहीं कर पाई उसे मोदी जी ने करके दिखाया है। पड़ोसी मुल्क में रहने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन या पारसी परिवार के साथ प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को नागरिकता देने का कार्य मोदी सरकार ने किया है”
श्री अनुराग ठाकुर ने आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि यह नागरिकता देने का कानून है और इससे भारत के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी। अफगानिस्तान में जब गुरु ग्रंथ साहब और हमारे सिख भाइयों पर खतरा था तब मोदी जी ने एक बार नहीं बल्कि तीन बार विशेष विमान भेज कर उन्हें सब कुशल भारत लाया। क्या विपक्ष यह चाहता है कि पड़ोसी मुल्कों से प्रताड़ित होकर भारत आए दलित और अन्य पिछड़ी जाति के लोगों को नागरिकता ना दी जाए? इनकी यहां दो दो तीन तीन पीढ़ियां बीत गई, फिर भी नागरिकता ना मिले? आखिर विपक्ष क्या चाहता है?”