हिमाचल सरकार निराश्रित बच्चों को संरक्षण देने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बुधवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बालकों की देखरेखा, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक, 2023 प्रस्तुत किया। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार निराश्रित बच्चों को सरकार उच्च शिक्षा के अलावा उत्सव भत्ता भी देगी। ऐसे बच्चों के जमा खाते खोले जाएंगे। इन्हें राज्य के भीतर एवं बाहर भ्रमण पर भी ले जाया जाएगा। सरकार ही माता एवं पिता की भूमिका में रहेगी। सरकार निराश्रितों को मकान बनाने के लिए तीन बिस्वा सरकारी भूमि और आवासीय अनुदान भी देगी। ऐसे बच्चों के लिए 101 करोड़ से सुखाश्रय कोष बनाया गया है। बच्चों के हितों का ध्यान रखने और उन्हें समय-समय पर उचित सुविधा देने के लिए जिले से लेकर राज्य स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी।

राज्य स्तर की समिति के मंत्री अध्यक्ष, जबकि शिक्षा सचिव, वित्त सचिव, महिला विकास विभाग के अधिकारी सहित आठ सदस्य होंगे। जिला स्तर पर उपायुक्त अध्यक्ष, पुलिस अधीक्षक और नगर निगम आयुक्त सदस्य होंगे। यह समितियां उनकी देखरेख, पुनर्वास और उनके अधिकारों को संरक्षण देंगी। इसमें अध्यक्ष एवं सदस्यों के चयन के लिए नियम भी तय किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि बीते मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस विधेयक को विधानसभा में लाने की मंजूरी दी गई थी। बुधवार को सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। बजट सत्र के अंतिम दिन वीरवार को इसे पारित किया जाना है। मौजूदा समय में प्रदेश में करीब 6,000 निराश्रित बच्चों के होने की संभावना है।

भूगर्भ जल प्रावधानों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान खत्म
हिमाचल प्रदेश में भूगर्भ जल को लेकर बनाए गए विधेयक की शर्तों का उल्लंघन करने पर अब दोषी को सजा नहीं होगी। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में इससे संबंधित हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण संशोधन विधेयक, 2023) को विधानसभा में प्रस्तुत किया। विधेयक के नए प्रावधान में अब दोषियों के खिलाफ 10 लाख रुपए तक जुर्माना होगा। इससे पहले दोषी पाए जाने पर 5 वर्ष का कारावास 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान था।

शिमला, मंडी और कुल्लू में 137 पशु लंपी रोग से ग्रस्त
पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश में 137 पशु अभी भी लंपी रोग से ग्रस्त हैं। शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में पशु इस रोग से ग्रस्त हैं। शेष नौ जिले रोग मुक्त हो गए हैं। कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर के सवाल के लिखित जवाब में पशुपालन मंत्री ने बताया कि 18 मार्च तक 1,40,358 पशु लंपी वायरस से प्रभावित हुए हैं। 11,308 पशुओं की मौत हुई है। 1,28,913 पशु ठीक हो गए हैं। बताया कि पशुओं का निशुल्क इलाज किया गया। 18 मार्च तक 9,74,835 पशुओं का निशुल्क टीकाकरण किया गया है। आपातकालीन स्थिति के लिए विभाग के पास 3,00,000 अतिरिक्त टीकों का प्रावधान है। पशुपालकों के मृत पशुओं का मुआवजा राशि दिलवाने के लिए मामला पशु पालन विभाग ने 27 अगस्त 2022 को राज्य आपदा प्राधिकरण से उठाया था। आठ सितंबर 2022 को संयुक्त सचिव गृह मंत्रालय से भी मामला उठाया गया है। जो अभी भारत सरकार के विचाराधीन है।