कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट का रण रोचक मोड़ पर आ गया है। यहां सीधे मुकाबले में दोनों ओर से सुलझे हुए प्रत्याशियों में सिमटी जंग ने जीत-हार के समीकरणों को भी उलझाकर रख दिया है। भाजपा पहले इस सीट को पूरी तरह से सुरक्षित मानकर चल रही थी। लेकिन, अब स्थिति कुछ अलग है। देरी से मैदान में आने के बावजूद कांग्रेस के आनंद शर्मा ने अपने सियासी छवि, लंबे अनुभव, सत्ता के साथ और विधायकों के दम से मुकाबले में रोचकता ला दी है। दोनों ही प्रत्याशी सुलझी और साफ-सुथरी छवि का परिचय देकर परस्पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने या खलनायक बनाने की सियासत से परहेज कर रहे हैं। दोनों का फोकस कांगड़ा पर ज्यादा है। जीत का दरवाजा यहीं से खुलेगा। संसदीय क्षेत्र में 13 विस हलकों की हिस्सेदारी वाले इस जिले में मतों के अंतर की जिसकी जितनी लंबी लकीर खींचेगी, जीत उसके लिए उतनी ही आसान होगी।
मतदाताओं की चुप्पी दोनों दलों के लिए अनबुझ पहेली भी बनी है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. राजीव भारद्वाज के पास पीएम मोदी का नाम और काम है। सांगठनिक ताकत भी उनके साथ है। कई चुनाव लड़वाने का उन्हें जमीनी अनुभव है। इसी दम पर वह कांग्रेस को पटकनी देने दम भर रहे हैं। उधर, आनंद के साथ कांग्रेस के विधायकों की फौज है। 11 सीटिंग एमएलए में से विधानसभा अध्यक्ष के अलावा दो कैबिनेट मंत्री, दो सीपीएस और एक कैबिनेट रैंक नेता इसी क्षेत्र से हैं। केंद्र की सियासत में रहकर कद्दावर छवि, वाकपटुता और राजनीतिक का लंबा अनुभव उनकी पहचान है। सत्ता की ताकत भी उनके साथ है। आनंद शर्मा भाजपा को लगातार जीत का चौका लगाने से रोकने और कांग्रेस को उसका खोया हुआ गढ़ वापस दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस मशक्कत में पहले के अपने संपकों व जान-पहचान को भी वह ताजा करते दिखाई दे रहे हैं।