ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं शहर में भी टिकटिंग मशीनों में कनेक्टिविटी की दिक्कत आ रही है। कंडक्टरों के मुताबिक कई बार यूपीआई और एटीएम कार्ड से किराये की अदायगी करने पर पांच मिनट तक का समय लग जाता है। ऐसे में छोटे रूट पर टिकट काटने में उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही यात्रियों को भी परेशानी से जूझना पड़ रह है।

शिमला बस स्टैंड और न्यू शिमला में करीब 140 बसें चलती हैं। इसमें ज्यादातर शहर में चलने वाली बसें शामिल हैं, लेकिन इसके अलावा सुन्नी, खटनोल और सोलन तक बसों का संचालन चलाया जाता है। शहर में कई रूट ऐसे भी हैं, जिनका एक तरफ के रूट का समय महज 25 मिनट का है। ऐसे में यूपीआई और एटीएम कार्ड से किराये की अदायगी पर टिकट काटने में अधिक समय लग रहा है।

नाम न बताने की शर्त पर एक कंडक्टर ने बताया कि नई टिकटिंग मशीनों में आईकार्ड और विकलांग कोटे से सफर करने वाले यात्रियों के लिए ऑप्शन ही नहीं है। इन समस्याओं को लेकर शहर में सेवाएं दे रहे कंडक्टर कुछ समय पहले डीएम एचआरटीसी को भी अवगत करवा चुके हैं।

बैटरी बैकअप कम होने से भी दिक्कत
कंडक्टरों के मुताबिक नई टिकटिंग मशीनों का बैटरी बैकअप भी कम है। एक बार चार्ज करने के लिए इसे करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है। तीन से चार घंटे के बाद इन्हें दोबारा चार्जिंग पर लगाना पड़ता है। इसके अलावा टिकट काटने की प्रक्रिया भी लंबी है। इस कारण सुन्नी और खटनोल जैसे रूटों पर उन्हें मैनुअल ही टिकट काटने पड़ते हैं। एचआरटीसी के डीएम पवन शर्मा ने बताया कि सर्वर से कनेक्टिवटी की दिक्कत के कारण खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह दिक्कत आ सकती है।

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