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भंग हो चुके हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव एवं एचएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कंवर को विजिलेंस की ओर से गिरफ्तार किए 14 दिन से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन, कार्मिक विभाग ने अभी तक उनके निलंबन के आदेश जारी नहीं किए हैं। जबकि, नियमानुसार जिस भी अधिकारी को जेल में 48 घंटे या दो दिन से अधिक का समय पूरा होता है, उसे निलंबित किया जाता है।
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इससे पूर्व भी आरोपी एचएएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति देने में भी प्रदेश सरकार ने करीब ढाई महीने से अधिक का समय लगा दिया था। इसी तरह उनकी गिरफ्तारी भी मामला दर्ज होने के ठीक एक माह बाद हुई। जबकि अन्य मामलों में जांच एजेंसियों की कार्रवाई बिलकुल समयबद्ध रहती है। सवाल उठना लाजिमी है क्योंकि 23 दिसंबर 2022 को जेओए आईटी पेपर लीक मामले में विजिलेंस ने मामला दर्ज कर आठ लोगों को गिरफ्तार किया था।
उसी समय से पूर्व सचिव को भी गिरफ्तार न करने को लेकर जांच एजेंसियों और प्रदेश सरकार पर अंगुली उठनी शुरू हुई थी। एक मार्च को प्रदेश सरकार ने पूर्व सचिव के खिलाफ मामला दर्ज करने को मंजूरी दी। जबकि, 4 अप्रैल को विजिलेंस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इसके बाद पूर्व सचिव पहले 10 अप्रैल तक पुलिस हिरासत और उसके बाद से न्यायिक हिरासत में हैं।
उधर, पोस्ट कोड 939 जेओए आईटी भर्ती के दौरान ओएमआर शीट्स से छेड़छाड़ के आरोपी अभ्यर्थियों विशाल चौधरी और दिनेश कुमार की जमानत पर आज हमीरपुर न्यायालय से फैसला आएगा। जबकि, भंग हो चुके आयोग के चपरासी मदन लाल की जमानत पर सुनवाई 20 को और दूसरे चपरासी किशोरी लाल तथा पूर्व सचिव डॉ. जितेंद्र कंवर की जमानत पर 21 अप्रैल को सुनवाई होनी है।
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