हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इस साल भी पुराने ही पाठ्यक्रम को पढ़ाया जा रहा है। जबकि विज्ञान, सामाजिक अध्ययन और गणित विषय के पुराने पाठ्यक्रम से कई गैर जरूरी अध्याय को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद पाठ्यक्रम से हटा चुकी है। सीबीएसई से संबंध प्रदेश के स्कूलों में एनसीईआरटी की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही संशोधित पुस्तकें ही पढ़ाई जा रही हैं।
वहीं दूसरी तरफ एनसीईआईटी के इन निर्देशों को वर्तमान शैक्षणिक सत्र में लागू करने से हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड ने मना कर दिया है। इसका एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड पाठ्यपुस्तकें एनसीईआरटी के संशोधन से पहले प्रकाशित करवा चुका था। किताबों के प्रकाशन पर सरकार की ओर से लाखों रुपये का खर्च होता है। पुराने पाठ्यक्रम की पुस्तकें वितरित करने से स्कूल शिक्षक और विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
शिक्षकों को समझ नहीं आ रहा है कि जिन अध्यायों को एनसीईआरटी काट चुकी है, उन्हें इस बार स्कूलों में पढ़ाया जाए या नहीं। स्कूल शिक्षा बोर्ड कह रहा है कि इस शैक्षणिक सत्र में पुराने पाठ्यक्रम को पढ़ना होगा। एनसीईआरटी की नियमों को आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 में लागू किया जाएगा। नए सत्र में पुस्तकें भी एनसीईआरटी के निर्देशानुसार ही प्रकाशित और वितरित की जाएंगी। सरकारी स्कूलों में दसवीं तक यह पुस्तकें निशुल्क प्रदान की जाती हैं।
पाठ्य पुस्तकों में जो बदलाव किया है वह नई शिक्षा नीति और शिक्षा नीति के अनुरूप बनने वाले एनसीएफ के अनुरूप है। भारत में पाठ्य पुस्तकें वर्तमान में एनसीएफ के अनुसार तैयार की जाती हैं, जो स्कूली पाठ्य पुस्तकों को तैयार करने के लिए एक नियम पुस्तिका है। एनसीएफ को अब तक पांच बार संशोधित किया गया है। नई शिक्षा नीति के मसौदे में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन का भी सुझाव दिया गया था।
यह सलाह दी गई है कि पाठ्य पुस्तकों को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक विषय में केवल आवश्यक मूल सामग्री शामिल हो, जिसमें रचनात्मक, खोज-आधारित, विश्लेषण-आधारित, आकर्षक और सीखने की आनंददायक शैली का ध्यान रखा जा सके।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड शुरू से ही एनसीईआरटी की ओर से पाठ्यक्रम में किए जाने वाले संशोधनों वाले अध्याय के निर्देशों को एक साल के बाद अमलीजामा पहनाता आया है