हिमाचल प्रदेश के शिमला के गाला किस्म के सेब ने न्यूजीलैंड के आयातित सेब को दामों के मामले में पछाड़ दिया है। लुधियाना फल मंडी में शुक्रवार को कोटखाई के बागवान का गाला किस्म का सेब 250 रुपये किलो बिका, जबकि न्यूजीलैंड के आयातित सेब को 200 से 240 रुपये रेट मिले। बागवान ने 5 किलो की पैकिंग में 160 बॉक्स भेजे थे।
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बेहतर आकार, रंग और पैकिंग भी रिकार्ड रेट मिलने की वजह बनी। लुधियाना फल मंडी के कारोबारी दीपक अरोड़ा ने बताया कि न्यूजीलैंड से आयातित गाला तीन से चार माह पहले बागीचों से तोड़ा जा चुका है जबकि शिमला का गाला बिल्कुल फ्रेश है, 5 किलो की पैकिंग में पूरी तरह सुरक्षित तरीके से माल मंडी में पहुंचा, जिसके चलते खरीदार को नुकसान का कोई डर नहीं था।
जयपुर में गाला 150 से 160 रुपये किलो बिका है। अगस्त में मंडियों में गाला की आमद बहुत कम है इसलिए भी अच्छे रेट मिल रहे हैं। शिमला कोटखाई के बागवान संजीव चौहान ने बताया कि फैनजम और टीरेक्स गाला को रिकार्ड रेट मिला है। 5 किलो की छोटी पैकिंग को भी मार्केट ने स्वीकार किया है। सरकार भी छोटी पैकिंग को प्रोत्साहित कर रही है ताकि सेब की गुणवत्ता बनी रहे।
डिलीशियस के मुकाबले चिलिंग ऑवर्स कम
गाला सेब की सेल्फ पॉलीनाइजर किस्म है, इसलिए कभी भी इसकी फसल नहीं टूटती। डिलीशियस किस्म के मुकाबले इसके चिलिंग ऑवर्स भी कम हैं। डिलीशियस को जहां 1200 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर्स की जरूरत पड़ती है वहीं गाला 600 से 900 घंटे में ही चिलिंग ऑवर्स पूरे कर लेता है। डिलीशियस के मुकाबले इसमें बीमारियों का खतरा भी 60 फीसदी कम रहता है।