हिमाचल प्रदेश में आपदा के लिहाज से चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, शिमला और किन्नौर अति संवेदनशील जिले हैं।  कांगड़ा, मंडी, ऊना, शिमला (कुछ भाग) और लाहौल-स्पीति उच्च संवेदनशील श्रेणी में आते हैं, जबकि हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और सिरमौर मध्यम संवेदनशील जिले हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसके आधार पर आपदा प्रबंधन की रणनीति और बुनियादी ढांचा विकसित करने की सलाह दी है।

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भूकंप की दृष्टि से जिला कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी सबसे अधिक संवेदनशील हैं। उच्च भूकंप संवेदनशीलता की श्रेणी में चंबा, कुल्लू, किन्नौर, कांगड़ा और शिमला जिला को रखा गया है, जबकि मध्यम और कम संवेदनशील श्रेणी में ऊना, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन, शिमला और लाहौल-स्पीति जिले हैं। भूस्खलन की आशंका के लिहाज से चंबा, कुल्लू, किन्नौर और कांगड़ा सहित शिमला जिले के कुछ हिस्सों में अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, शिमला, सिरमौर और लाहौल-स्पीति मध्यम संवेदनशील, जबकि ऊना, हमीरपुर और सोलन जिले कम संवेदनशील श्रेणी में हैं।

बाढ़ को लेकर चंबा, कुल्लू, ऊना और किन्नौर जिला उच्च संवेदनशील हैं, जबकि लाहौल-स्पीति, मंडी, शिमला, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और सिरमौर मध्यम और संवेदनशील जिलों में रखे गए हैं।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने बताया कि आपदा के लिहाज से संदेवनशील जिलों को लेकर रिपोर्ट बनाई गई है। सरकार के निर्देशों पर मौजूदा आपदा के आधार पर भी एक और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

लाहौल-स्पीति और किन्नौर हिमस्खलन को लेकर संवेदनशील
प्रदेश में हिमस्खलन के खतरे  को लेकर भी चेताया गया है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले बहुत अधिक संवेदनशील, चंबा, कुल्लू, कांगड़ा और शिमला का कुछ हिस्सा मध्यम संवेदनशील हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में हिमस्खलन का खतरा नहीं है।